0 प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता सहायिका संघ का सम्मेलन
0 संभाग अध्यक्ष भगवती कश्यप और किरण नाग की नियुक्ति को बताया अवैध
जगदलपुर। प्रदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ का प्रांतीय सम्मेलन जगदलपुर में 7 जुलाई को हुआ। सम्मेलन में मुख्य अतिथि बस्तर के सांसद महेश कश्यप थे।अध्यक्षता संघ की प्रांतीय अध्यक्ष रुक्मणि सज्जन ने की। कार्यक्रम का संचालन लता तिवारी ने किया। सांसद श्री कश्यप का भव्य स्वागत किया गया। तत्पश्चात सांसद महेश कश्यप ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण है। वे शासन के कार्यो को जिम्मेदारी के साथ निर्वाह करती आ रही हैं।आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जो भी समस्या होगी उस पर हमारी सरकार जरूर ध्यान देगी।
उसके बाद संघ की अध्यक्ष रुक्मणी सज्जन ने कहा कि हमरे संघ से जुड़े कुछ लोग संगठन विरोधी काम में लगे हुए हैं। उसके कारण हमने बस्तर जिले के नए जिला अध्यक्ष को संभाग स्तरीय पदाधिकारियों के समक्ष मनोनीत किया गया। ताकि उन्हें समझ में आना चाहिए कि हम बड़ी मुश्किल से संगठन को अब तक आगे बढ़ाते आए हैं। बस्तर जगदलपुर जिले में प्रेमवती नाग की जगह निर्मला चौधरी को, दंतेवाड़ा में किरण नाग की जगह रानी राव को, कोंडागांव में पुष्पा राय की जगह लक्ष्मी बघेल को, नारायणपुर में देशांतरी बद्री की जगह लक्ष्मी यादव को नया जिला अध्यक्ष बनाया गया है। प्रांतीय महामंत्री लता तिवारी ने बस्तर संभाग स्तरीय सभी पदाधिकारियों की सहमति लेकर बताया कि 1 जुलाई को हमारे संभाग एवं हमारे पंजीयन का फर्जीवाड़ा करते हुए इस्तेमाल करके संभाग अध्यक्ष का चुनाव किया गया है और भगवती कश्यप को चुना गया तथा किरण नाग जो कि जुझारू संघ की जिला अध्यक्ष खुद को बताती है उसे संभाग का संरक्षक बनाया गया है। यह बहुत ही गलत एवं फर्जी है जिसका खंडन सभी जिला पदाधिकारी, प्रांत पदाधिकारी करते हैं और उनको आगाह करते हैं कि आइंदा हमारे पंजीयन क्रमांक का दुरुपयोग न करें वरना हम संगठनात्मक कार्यवाही के लिए बाध्य होंगे। रुकमणी सज्जन ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका बहनें केन्द्र और राज्य सरकार की हर योजना को घर घर और जन जन तक पहुंचाकर शासन का कार्य कर रही हैं। आईसीडीएस की योजना सन 1975 से लागू है और लगभग 50 वर्ष होने को है, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं -सहायिकाओं को अभी तक ना तो मजदूर का और न ही शासकीय कर्मचारी का दर्जा मिल पाया है। काम के समय शासकीय कर्मचारी से भी ज्यादा जिम्मेदारी दी जाती है और जब जीने लायक वेतन सुविधाओं की बात की जाती है तो समाज सेविका कहकर मूलभूत सुविधाओं से हमें वंचित रखा जा रहा है। लेकिन समाज सेविका का भी परिवार होता है, आज के इस भीषण मंहगाई के दौर में केंसरकार से हमें महज 4500 रू. ही मानदेय मिल रहा है। क्या इसे हम जीने लायक वेतन मान सकते है? हमें न पेंशन की सुविधा है और न ही सेवानिवृत्ति पश्चात संतोषजनक लाभ है। सरकारों द्वारा महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में की गई उन्नति के बड़े- बड़े पोस्टर लगाए जाते हैं तथा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े पुरस्कार जीते जाते हैं लेकिन जिनके दम पर यह उपलब्धि हासिल होती है, उन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिका बहनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। आज केंद्र एवं राज्य में बीजेपी की सरकार है, इसलिए आज कार्यकर्ता सहायिका केंद्र एवं राज्य सरकार से अपेक्षा करती हैं कि वे हमारी मांगें पूरा करेंगीं। सभा को जयश्री राजपूत, लता तिवारी, पार्वती नाग, रंभा गागड़ा, दयावती यालम, रानी राव, लक्ष्मी बघेल, लक्ष्मी यादव, निर्मला चौधरी एवं अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी संबोधित किया। आज के सम्मेलन में बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का सैलाब उमड़ पड़ा था।
संघ ने उठाई ये मांगें
सम्मेलन में संघ ने सभी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के हित में छह प्रमुख मांगें उठाईं। मांगों का ज्ञापन सांसद महेश कश्यप को भी सौंपा गया। मांगों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित करने, नर्सरी शिक्षक पद पर उन्नयन करने, शासकीय कर्मचारी घोषित किये जाने तक श्रम कानून के तहत न्यूनतम पारश्रमिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता को कम से कम प्रति माह 21 हजार रू. और सहायिकाओं को 17850 रू. वेतन देने, मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण आंगनबाड़ी केंद्र बनाने,तब तक समान काम का समान वेतन देने सामाजिक सुरक्षा के रूप मे आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 5 लाख ग्रेच्युटी और 10 हजार रू. मासिक पेंशन और सहायिकाओं को 4 लाख 25 हजार की ग्रेच्युटी और 8,500 रू. मासिक पेंशन एवं सहायिकाओं को समूह बीमा का लाभ देने, सुपरवाईजर के रिक्त शत प्रतिशत पदों पर कार्यकर्ताओं को बिना उम्र बंधन और परीक्षा के सीधे पदोन्नति देने कार्यकर्ता के रिक्त सभी पदों पर सहायिकाओं को पदोन्नत करने और इस हेतु विभागीय सेवा भर्ती नियम मे आवश्यक संशोधन करने तथा क्रेश कार्यकर्ताओं को कार्यकर्ता के पद पर समायोजित करने की मांगें शामिल हैं।