0 दिल्ली के नेताओं के सामने खोलकर रख दी लखमा की कुंडली
0 विधानसभा चुनाव में की गई करतूत का खोल कर रख दिया कच्चा चिट्ठा
(अर्जुन झा) जगदलपुर। दो दिन पहले जो कवासी लखमा रायपुर में हुई समीक्षा बैठक में अपनी हार का ठीकरा प्रदेश के नेताओं पर फोड़ते हुए आग बबूला हुए जा रहे थे, उन्हीं कवासी लखमा को कांकेर में हुई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की बैठक में मुंह की खानी पड़ गई। कवासी लखमा पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा था। कार्यकर्ताओं ने उन्हें जमकर खरी खोटी सुनाई और विधानसभा चुनाव के दौरान उनके द्वारा कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ की गई साजिश का कच्चा चिट्ठा बड़े नेताओं के सामने खोलकर रख दिया।
लोकसभा चुनावों के परिणामों के मद्देनजर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने कांकेर और बस्तर लोकसभा क्षेत्रों के वरिष्ठ नेताओं तथा कार्यकर्ताओं से मिलकर लोकसभा चुनाव परिणाम के मसले पर चर्चा एवं समीक्षा की। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी विजय जांगिड़, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मंत्री मोहन मरकाम, पूर्व मंत्री कवासी लखमा, राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी, विधायक सावित्री मंडावी, कांकेर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी बीरेश ठाकुर सहित अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। बस्तर लोकसभा क्षेत्र से पहुंचे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भरी बैठक में बस्तर लोकसभा सीट से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री कवासी लखमा का पूरा काला चिट्ठा खोलकर रख दिया। लखमा के मुंह के सामने कार्यकर्ताओं ने कहा कि बस्तर के प्रभारी मंत्री रहते कवासी लखमा ने पार्टी कार्यकर्ताओं का जरा भी सम्मान नहीं किया और न ही किसी कार्यकर्ता का कोई काम किया। इसका खामियाजा कवासी लखमा को भोगना पड़ा और उनकी करतूत के कारण ही बस्तर में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कवासी लखमा की बस्तर से उम्मीदवारी का दुष्प्रभाव पड़ोसी कांकेर लोकसभा सीट पर भी पड़ा है। बैठक में कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और चित्रकोट विधानसभा क्षेत्रों के नेताओं एवं वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने कवासी लखमा के हर कृत्य की पोल खोलते हुए नेताओं के समक्ष उनकी शिकायत की। क्षेत्रीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का आक्रोश इस कदर बढ़ चुका था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को बीच बचाव करना पड़ा। दीपक बैज ने नेताओं कार्यकर्ताओं को बीती बातें भूल जाने की नसीहत देते हुए स्थानीय निकायों के चुनावों में एकजुट होकर काम करने को कहा। दीपक बैज कवासी लखमा का बचाव करते भी नजर आए।
विस चुनाव में किया भितरघात
गुस्साए क्षेत्रीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा विधानसभा चुनाव में कवासी लखमा ने पार्टी प्रत्याशियों को हराने के लिए हर दांव खेला, भितरघात किया। कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा व चित्रकोट विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच रुपए, मुर्गे, बकरे और शराब बांटकर उन्हें पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ भड़काया, कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव हराने में बड़ी भूमिका निभाई। इस वजह से नुकसान लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हुआ। सभी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कवासी लखमा ने संगठन के नेताओं को दरकिनार कर चुनाव लड़ा। बिना सिर पैर की बातें करना, उल जलूल भाषण देना, गाली गलौज करना भी भारी पड़ा है लखमा को। नेताओं कार्यकर्ताओं ने कहा कि कवासी लखमा ने बस्तर का सबसे बड़ा नेता होने का दंभ पाल लिया था। अभिमान उन पर इस कदर हावी हो गया था कि वे दूसरे नेताओं को अपने सामने तुच्छ समझने लगे थे। यह अभिमान भी उन्हें भारी पड़ा है। कार्यकर्ताओं का साफ कहना था कि बस्तर से लखमा की जगह कोई और प्रत्याशी होता तो हम यह सीट बड़ी आसानी से निकाल लेते। नेताओं व कार्यकर्ताओं ने तो कवासी लखमा के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की मांग भी वरिष्ठ नेताओं से कर डाली। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के ऐसे तेवर को देख कवासी लखमा की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी।
कुछ नेताओं की फजीहत
खबर है कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की कांकेर में हुई बैठक में बस्तर के कुछ नेताओं की बड़ी फजीहत भी हुई है। दरअसल ये नेता बिन बुलाए मेहमान की तरह बैठक में पहुंच गए थे और चर्चा के बीच टांग अड़ाने की कोशिश कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक राज्य में कांग्रेस की सत्ता के दौरान बड़े पदों पर रहे जगदलपुर के नेता मिथिलेश स्वर्णकार, राजीव शर्मा व कुछ अन्य नेता पर्यवेक्षक से मिलने की कोशिश कर रहे थे। इन नेताओं ने बीच बैठक में जबरिया घुसने की कोशिश की और बीच बीच में वे टोका टाकी भी करने लगे थे। बताते हैं कि इन नेताओं की बेजा हरकत को देख दिल्ली से आए नेता बेहद नाराज हो उठे थे। अंततः वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी द्वारा मिथिलेश स्वर्णकार व राजीव शर्मा व उनके साथ गए अन्य नेताओं को बुरी तरह डांट कर बाहर निकाल दिया गया। इस दौरान इन नेताओं की हालत बड़े बे- आबरू होकर तेरे कूंचे से निकले जैसी हो गई थी। सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को रायपुर में बैठे उनके आका ने बैठक की गतिविधियों की टोह लेने, अपने (रायपुर के नेता) खिलाफ उठने वाली आवाज के विरोध में आवाज बुलंद करने तथा कवासी लखमा की पुरजोर हिमायत करने के लिए भेजा था। मगर उनकी दाल नहीं गल पाई। बैठक से इन दोनों नेताओं को बाहर कर दिए जाने के बाद अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जगदलपुर के इन दोनों नेताओं के खिलाफ भी आवाज उठाई। शिकायत की कि इन दोनों नेताओं ने रायपुर में बैठे अपने आका के इशारे पर कवासी लखमा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा, चित्रकोट, नारायणपुर व कुछ अन्य सीटों के प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया था।