0 समीक्षा बैठक में नेताओं ने दिखाए कड़े तेवर
0 पूर्ववर्ती सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैए और संगठन को ठहराया जिम्मेदार
(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक रार का केंद्र बन गई। पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी हार की समीक्षा करने रायपुर आए थे। दोनों वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में हुई बैठक में कोंटा सुकमा के विधायक एवं पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने जमकर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने बस्तर लोकसभा सीट से अपनी हार के लिए कांग्रेस के ही नेताओं को पूरी तरह जिम्मेदार ठहरा दिया। इसके अलावा रायपुर एवं महासमुंद लोकसभा सीटों पर मिली हार पर भी कोहराम मचा। रायपुर सीट पर जहां प्रत्याशी को ही हार के लिए जिम्मेदार बताया गया, वहीं महासमुंद सीट पर पराजय की वजह कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को बताया गया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की भी कई नेताओं ने जमकर बखिया उधेड़ी।
वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी ने छत्तीसगढ़ के पार्टी नेताओं के साथ तीन बैठकें की। पहली बैठक वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई। उसके बाद महासमुंद और रायपुर लोकसभा सीट की हार पर मंथन हुआ। तीनों ही बैठकों में आपसी गुटबाजी का नजारा देखने को मिला। बैठक में ज्यादातर प्रत्याशी तो खामोश रहे, मगर बस्तर सीट से लोकसभा प्रत्याशी रहे कवासी लखमा बेहद मुखर नजर आए। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में अपनी हार के लिए सीधे तौर पर अपनों पर ही ठीकरा फोड़ दिया। कवासी लखमा ने कहा कि चुनाव में पार्टी नेताओं ने काम ही नहीं किया, बड़े नेता प्रचार करने तक नहीं आए और तो और मुझे रायपुर से भी कोई सहयोग नहीं मिला। लखमा ने कहा कि मेरी हार बहुत ही कम अंतर से हुई है। अगर रायपुर से सहयोग मिला होता और नेताओं ने मदद की होती, तो बस्तर सीट आज कांग्रेस के कब्जे में होती। कवासी लखमा ने आरोप लगाया कि पार्टी में गुटबाजी हावी है, हर कोई सुपर पॉवर बनना चाहता है। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर सीट पर मिली पराजय के लिए पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी भी जवाबदेह है। लखमा और अन्य नेताओं ने संगठन के कामकाज के तरीकों पर ही सवाल खड़े कर दिए। कवासी लखमा ने तो अपने मन में भरा सारा गुबार ही बाहर निकाल दिया।
कांग्रेस सरकार ने की थी उपेक्षा
वहीं रायपुर लोकसभा सीट पर हार के लिए वरिष्ठ नेताओं और जिला संगठन ने प्रत्याशी को ही जिम्मेदार बता दिया।कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अपनों के कारण ही चुनाव में हार हुई है। समीक्षा बैठक के दौरान नेताओं ने कहा कि सरकार में रहते हुए पांच साल तक कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई, उसका परिणाम मिला है। हार के लिए कांग्रेस सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। कहा गया कि कार्यकर्ताओं ने तो काम किया लेकिन प्रत्याशियों को जिस तरह से चुनाव लड़ना चाहिए वैसा नहीं लड़ा गया। इसका खामियाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतान पड़ा है। बैठक में साथ ही रायपुर के नेताओं को कम प्रतिनिधित्व मिलने की बात भी कही गई। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में पांच साल कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई इसका परिणाम हमें देखने को मिला है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि हार के लिए सरकार जिम्मेदार है। राजेश तिवारी ने माना कि मुख्यमंत्री का सलाहकार रहेते हुए मैं भी उसमें शामिल हूं। राजेश तिवारी ने कहा कि संगठन ने भरपूर कोशिश कर चुनाव लड़ने में पूरा योगदान दिया। उन्होंने समय पर प्रचार सामग्री नहीं पहुंचने का आरोप लगाया और संगठन में आपसी सामंजस्य नहीं होने के चलते हारने की बात कही।
हार का ठीकरा प्रत्याशी पर
समीक्षा बैठक में रायपुर लोकसभा क्षेत्र में पराजय पर महामंत्री, उपाध्यक्ष, महापौर, पूर्व महापौर सहित वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यहां से प्रत्याशी रहे विकास उपाध्याय पहले से ही चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। चुनाव में उनकी कार्यशैली कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की नहीं रही। चुनाव जिस तरह से लड़ना चाहिए वैसा नहीं लड़ा। यहां के कार्यकर्ताओं ने पूरी लगन और निष्ठा से काम किया इसके कारण पिछले चुनाव में जहां कांग्रेस को 4 लाख 89 हजार वोट मिले थे वहीं इस चुनाव में 4 लाख 75 हजार वोट मिले। इससे साफ है कि कार्यकर्ताओं ने पूरी मेहनत की। संगठन और प्रत्याशी के बीच सामंजस्य की कमी महसूस की गई। महासमुंद के चुनाव परिणाम की समीक्षा के दौरान महासमुंद के वरिष्ठ नेताओं ने सीधे तौर पर कहा कि यहां पर साहू जाति के लोगों को साधने का जो प्लान पार्टी ने बनाया था वह पूरी तरह फेल रहा। ताम्रध्वज साहू को बाहरी प्रत्याशी होने के कारण इसका लाभ नहीं मिला। नेताओं ने यहां तक कहा कि सरकार में मंत्री रहते हुए ताम्रध्वज साहू महासमुंद के प्रभारी मंत्री थे, लेकिन उस दौरान यहां के कार्यकर्ताओं और आम लोगों का काम नहीं करने का खामियाजा उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भुगतना पड़ा।
अभी बदलाव नहीं : पायलट
प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने कहा कि यह समीक्षा बैठक संगठन में बदलाव के लिए नहीं है। अभी नगरीय निकाय चुनाव सामने है, पार्टी काे मजबूत करने नए सुझाव के लिए यह बैठक आयोजित की गई है। नए आईडिया आएंगे तो आगे पार्टी की कार्यशैली में बदलाव करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव की अपेक्षा पार्टी को लोकसभा चुनाव में 5-6 लाख अधिक वोट मिले हैं, लेकिन पार्टी लोकसभा चुनाव में एक सीट पा सकी। कांकेर लोकसभा में कम अंतर से हारे हैं।