0 ग्राम पंचायत टलनार में डबरी निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला खेल
0 मनरेगा अधिकारी की भी भूमिका संदेह के दायरे में
(अर्जुन झा)बकावंड। विकासखंड बकावंड में अधिकारियों, सरपंचों और पंचायत सचिवों ने सरकारी योजनाओं और निर्माण कार्यों को कमाई का जरिया बना लिया है। ऐसा कोई भी कार्य या योजना नहीं बची है, जिसमें भ्रष्टाचार न किया गया हो। भ्रष्ट तंत्र सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंचने दे रहा है। योजनाओं की पूरी राशि फर्जी मस्टर रोल भरकर और फर्जी बिल व्हाचर पेश कर हजम कर ली जाती है। ऐसे कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं। अब टलनार में एक बड़ा मामला उजागर हुआ है जहां कई किसानों के नाम पर डबरी निर्माण के प्रकरण तैयार कर शासन के लाखों रुपए मनरेगा अधिकारी, सरपंच और सचिव ने गटक लिए हैं। इस तिकड़ी ने भ्रष्टाचार की डबरी में जमकर गोते लगाए हैं।
बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत टलनार में रोजगार गारंटी योजना के तहत गांव का भूजल स्तर बढ़ाने तथा वक्त पड़ने पर फसलों की सिंचाई के लिए कई किसानों के खेतों में डबरी का निर्माण कराया जाता है। टलनार ग्राम पंचायत में कई किसानों के नाम पर डबरी निर्माण के बोगस प्रकरण तैयार कर पूरी रकम आहरित कर ली गई है। इसके लिए फर्जी मस्टररोल तैयार किया गया है और नाम भी फर्जी मजदूरों के डाले गए हैं। जिन किसानों के नाम पर डबरी निर्माण के प्रकरण तैयार किए गए हैं, उनके खेतों या बाड़ी में डबरी निर्माण कराया ही नहीं गया है। तथाकथित फर्जी डबरी निर्माण कार्य को ग्राम पंचायत टलनार के सहायक सचिव लखबंधु, सरपंच और मनरेगा के परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा की सांठगांठ से अंजाम दिया गया है। जिन हितग्राहियों के नाम से डबरी निर्माण कार्य स्वीकृति हुआ था, उन हितग्राहियों की जानकारी के बगैर फर्जी तरीके से मस्टर रोल भरकर पुरानी डबरियों और छोटे तालाब को नई खोदी गई डबरी बताकर राशि गलत तरीके से राशि का भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। डबरी निर्माण संजय कुमार के नाम स्वीकृत हुआ था। इस हितग्राही के बिना जानकरी डबरी निर्माण को अंजाम को दिया गया है।
सहायक सचिव लखबंधु ने जिन हितग्राहियों के नाम से डबरी निर्माण की स्वकृति कराई है और राशि निकाल ली है, उन हितग्राहियों को आन लाईन से जानकारी मिली तो वे आश्चर्य में पड़ गए।
मनरेगा पीओ की भूमिका संदिग्ध
डबरी के नाम पर की गई घपलेबाजी में बकावंड विकासखंड के मनरेगा परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा की भी भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है। क्योंकि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत कराए जाने वाले हर कार्य को परियोजना अधिकारी की सहमति से और निगरानी में ही अंजाम दिया जाता है। कार्य का मूल्यांकन भी परियोजना अधिकारी को ही करना होता है। इसके बाद ही स्वीकृत राशि आहरित की जा सकती है। इसका मतलब यही हुआ कि टलनार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत कराए गए डबरी निर्माण में जो धांधली हुई है, उसमें परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा भी हिस्सेदार हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ डबरियां खेतों से दूर मैदान पऱ बनाई गई हैं और वह भी काम चलाऊ। ऎसी डबरियों की कोई उपयोगिता ही नहीं है।