0 एक को नीचा दिखाने के फेर में करवा बैठे फजीहत
(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता एक दूसरे को निपटाने के फेर में खुद ही निपटते जा रहे हैं। कांग्रेस की कब्र खोदने के चक्कर के अपनी ही सियासी कब्र खोदने पर चंद कांग्रेस नेता आमादा हैं। छत्तीसगढ़ में पंद्रह वर्षों तक वनवास झेलने के बाद सत्ता पाकर यहां के कांग्रेसी बौरा से गए थे। राज्य के कुछ शीर्ष नेता अपने आपको तुर्रम खां समझने लगे, अपने सामने किसी दूसरे चेहरे को दमकता देखना तक पसंद नहीं करते थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने दीपक बैज को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान क्या सौंप दी, प्रदेश के कुछ नेताओं की छाती में सांप लोटने लगा। राज्य के एक बड़े नेता ने बस्तर के एक नेता को मोहरा बनाकर चालें चलना शुरू कर दी। 2023 के विधानसभा चुनाव में दीपक बैज को उनकी पुरानी सीट चित्रकोट से टिकट क्या मिल गया, विरोधी खेमे ने अपनी गतिविधियां और तेज कर दी। बस्तर के दो सवर्ण चेहरों और एक आदिवासी नेता को पूरी ताकत से लगा दिया गया दीपक बैज को निपटाने के लिए। इस विरोधी लॉबी की मंशा थी कि दीपक बैज तो हारें ही, बस्तर में कुछ और सीटों का नुकसान हो, ताकि हाईकमान की नजरों का तारा बनते जा रहे दीपक बैज को नीचा दिखाया जा सके और पार्टी नेतृत्व को उनकी हैसियत का पता चल जाए। विरोधी लॉबी अपनी मंशा में कामयाब भी रहा। चित्रकोट, जगदलपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव आदि सीटों पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। दूसरा दौर आया लोकसभा चुनाव का, जब 2019 के लोकसभा चुनाव में घनघोर मोदी लहर के बीच भी दीपक बैज बस्तर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे, मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें रोकने के लिए तरह तरह की बिसातें बिछाई गईं। एक नेता अपने पुत्र को बस्तर सीट से टिकट दिलाने के लिए दिल्ली में डेरा जमाए बैठे रहे। उनके सपोर्ट के लिए बस्तर से कुछ और नेताओं को एक किंगपिन ने दिल्ली भेज दिया था। बस्तर से दिल्ली गए नेताओं के नाम उजागर भी हो गए थे। अंततः दीपक बैज का टिकट कटवाकर ही इस लॉबी ने दम लिया। बस्तर संभाग के सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से छठवीं बार चुनाव जीतकर आए कवासी लखमा को कांग्रेस हाई कमान ने बस्तर लोकसभा सीट से मैदान पर उतार दिया। भाजपा के एक नए नवेले चेहरे ने कांग्रेस के तथाकथित कद्दावर नेता को पटखनी दे दी।
लौटता है समय का चक्र
कहते हैं समय का चक्र लौट ही आता है और कांग्रेस की कब्र खोदने वालों के साथ भी ऐसा ही हुआ है। छत्तीसगढ़ के बड़े बड़े कांग्रेसी शूरमाओं को समय के इस चक्र ने उनकी औकात दिखा दी है। यह भी बता दिया है कि दूसरों के लिए गड्ढा खोदने वाले खुद उसी गड्ढे में गिर जाते हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने यह भी साफ कर दिया है कि कथित अजेय योद्धा भी अपनी मांद में ही सुरक्षित रह सकते हैं, या दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि आपकी राजनीति एक इलाके और एक जिले तक ही सीमित है, बाहर कदम धरना भारी पड़ सकता है।