काम आ रही है ‘घर वापस आइए’ की पुकार, अब तक 801 नक्सलियों की हो चुकी है घर वापसी

0  लोन वर्राटू अभियान के आ रहे हैं सार्थक परिणाम 
0  मुहिम से प्रभावित होकर फिर दो नक्सली लौटे घर 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिलों में शासन की नीति और जिला पुलिस द्वारा चलाई जा रही मुहिम रंग ला रही है। दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों में सैकड़ों नक्सली इन अभियानों के चलते खून खराबा त्याग कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। अकेले दंतेवाड़ा जिले में लोन वर्राटू मुहिम ने ऐसी छाप छोड़ी है कि अब तक 801 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। लोन वर्राटू यानि घर वापस आइए अभियान से प्रभावित होकर आज 13 मई को फिर दो नक्सलियों ने आत्मसर्पण कर दिया।
बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में पुलिस व सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में चलाये जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान तथा छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत विगत कुछ माह में जिला पुलिस बल और सीआरपीएफ द्वारा भटके हुए नलसलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार संपर्क एवं संवाद किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रशासन की नक्सल पुनर्वास नीति का व्यापक प्रचार- प्रसार भी गांव-गांव में किया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप व्यापक बदलाव माओवादी कैडर में दिखाई दे रहा है और बड़ी संख्या में माओवादी कैडर का आत्मसमर्पण होने लगा है।नक्सलियों के अमानवीय, आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा स्थानीय आदिवासियों के साथ की जाने वाली हिंसा से तंग आकर नक्सलवाद की ओर भटके युवा अब समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का संकल्प लेकर आगे आ रहे हैं। इसी कड़ी में भैरमगढ़ एरिया कमेटी प्रतिबंधित संगठन के दो माओवादियों बेचापाल पंचायत डीएकेएमएस सदस्य मोतीराम कुंजाम पिता स्व. बोदा कुंजाम, और बेचापाल पंचायत सीएनएम सदस्य राजेश ओयाम पिता सुक्कू ओयाम ने 13 मई को डीआरजी कार्यालय दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण किया। इन दोनों माओवादियों को आत्मसमर्पण कराने में 231वीं वाहिनी सीआरपीएफ का विशेष योगदान रहा।पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा ने आत्मसमर्पित माओवादियों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास योजना के तहत 25- 25 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी। उन्हें पुनर्वास योजना के तहत मिलने वाले सभी प्रकार के लाभ प्रदान कराए जाएंगे।
लोन वर्राटू अभियान के तहत दंतेवाड़ा जिले में अब तक 180 ईनामी नक्सलियों सहित कुल 801 नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ चुके हैं।

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