0 कांग्रेस को वोट आम जनता के हक़ और अधिकारों की गारंटी के लिए, सामाजिक न्याय के लिए
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि लोकसभा का यह चुनाव छत्तीसगढ़ के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरह से यह चुनाव छत्तीसगढ़ की समृद्धि, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और छत्तीसगढ़ के संसाधनों को बेचने और बचाने की लड़ाई है। इतिहास गवाह है कि जब-जब भारतीय जनता पार्टी की सरकारें आयी है, छत्तीसगढ़ के संसाधनों को अपने प्रिय मित्र पूंजीपतियों को बेचने का काम किया है। पहले की भाजपा सरकार ने कोरबा के बालको एल्युमिनियम संयंत्र को कौड़ियों के दाम बेचा, उसके बाद जब 2016-17 में इसी तरह से डबल इंजन की सरकार थी, ग्राम सभा की फर्जी एनओसी लगाकर लोह अयस्क के खदान और आदिवासियों के धार्मिक महत्व के स्थल “नंदराज पर्वत“ को मित्र अडानी को सौपा। अपने मित्र अदानी को मुनाफा पहुचाने देश में पहली बार कमर्शियल माइनिंग शुरू किया। अति महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्र को संकुचित कर हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला में नए कोल खनन की शुरुआत की। नवरत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड और एनएमडीसी के खदानों में खनन का कार्य अपने मित्र अदानी को दिया। छत्तीसगढ़ में जैसे ही विष्णुदेव साय की सरकार आयी, हसदेव अरण्य में पिछले 4 महीने के दौरान 10 लाख से अधिक पेड़ काटे गए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ आकर कहा था कि एनएमडीसी का नगरनार प्लांट नहीं बिकेगा, अब मोदी शाह सहित तमाम केंद्रीय मंत्री मौन है। सच यह है कि केंद्र सरकार के उद्योग विभाग की विनिवेशीकरण के लिए बनाए गए वेबसाइट “दीपम“ में एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को बेचने की प्रक्रिया तेज कर दिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कांग्रेस को वोट आम जनता के हक़ और अधिकारों की गारंटी के लिए सामाजिक न्याय के लिए है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पांच न्याय और 25 गारंटी की बात की है, जो आम जनता का अधिकार है। जनता ने भाजपा को केंद्र में 10 साल दिए, अब हिसाब देने का समय आया तो मोदी जी 2047 बता रहे, ठीक उसी तरह जैसे नोटबंदी का हिसाब देने 50 दिन मांगे थे, अब तो चुनावी बांड का भ्रष्टाचार भी उजागर, अब जनता करेगी हिसाब। पूंजीपती मित्रों के 16 लाख करोड़ से ज्यादा का लोन राईट आफ कर दिये लेकिन किसानों का कर्ज माफ नही किया। न स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू हुयी न ही किसानों की आय दुगुनी बल्कि जीएसटी वसूल कर खेती की लागत कई गुना बढ़ा दिये। जनता बेरोजगारी और मंहगाई से कराह रही है, लेकिन मोदी सरकार अडानी की तिजौरी भरने में व्यस्त है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि वर्ष 2006 में, भारत के आदिवासी समुदायों का दशकों पुराना संघर्ष तब समाप्त हो गया था जब कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम पेश किया। इससे आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे एकत्र किए गए वन उत्पादों से आर्थिक लाभ कमाने का कानूनी अधिकार मिला था। पिछले साल, जब पीएम मोदी ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पेश किया तो आदिवासियों को अधिकार देने के सारे प्रयास पीछे छूट गए। नया अधिनियम 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमज़ोर करता है, जिससे विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति और अन्य क़ानूनी आवश्यकताओं के प्रावधान समाप्त हो जाते हैं। ऐसा करने के पीछे का इरादा स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री के कॉर्पोरेट मित्रों की जंगलों तक पहुंच बिना किसी रोकटोक के सुनिश्चित करना है। आदिवासियों के प्रति भाजपा के रवैये का यही पैटर्न रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि कैसे भाजपा सरकार एफआरए के कार्यान्वयन में बाधा डाली है, जिससे लाखों आदिवासियों को इसके लाभों से वंचित किया गया है। दायर किए गए 9,37,858 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 56 प्रतिशत (5,24,341 दावे) मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 53,842 वर्ग किलोमीटर का केवल 27 प्रतिशत (14,637 वर्ग किलोमीटर) है। क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता दिखाएंगे?