रायपुर। भारत सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में 14 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज लेने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक, 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ था। पिछले 10 वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर 205 लाख करोड़ पहुंचा दिया। मोदी सरकार ने लगभग 150 लाख करोड़ कर्ज लिया बीते 10 साल में। आज देश के हर नागरिक पर लगभग डेढ़ लाख का औसत कर्ज बनता है। मोदी सरकार बताये कि इतने बड़े कर्ज का यह पैसा राष्ट्रनिर्माण के किस काम में लगा?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर कर्जा लिया गया क्या उसी बड़े पैमाने पर नौकरियाँ पैदा हुईं? नहीं हुई हकीकत में 10 सालों में दरअसल नौकरियाँ तो गायब हो गईं? न किसानों की आमदनी दोगुनी हो गई? न स्कूल और अस्पताल चमक उठे? इसके अलावा पब्लिक सेक्टर कमजोर कर दिया गया? न ही बड़ी-बड़ी फ़ैक्ट्रियाँ और उद्योग लगाये गये? फिर मोदी सरकार ने कर्जा क्यों लिया? अर्थव्यवस्था के कोर सेक्टर्स में बदहाली देखी जा रही है, अगर श्रम शक्ति में गिरावट आई है, अगर छोटे-मध्यम कारोबार तबाह कर दिए गए – तो आखिर यह पैसा गया कहाँ? किसके ऊपर खर्च हुआ? इसमें कितना पैसा बट्टे खाते में गया? बड़े-बड़े खरबपतियों की कर्जमाफी में कितना पैसा गया? मोदी सरकार जवाब देने की स्थिति में नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि अब सरकार नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है तो सवाल उठता है कि पिछले 10 साल से आम जनता को राहत मिलने की बजाय जब बेरोजगारी, महंगाई आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है तो भला भाजपा सरकार जनता को कर्ज में क्यों डुबो रही है?
मोदी राज में कैश फ्लो ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम है। 90 प्रतिशत एमएसएमई 3 साल के भीतर ही बंद हो रहे हैं। कृषि विकास दर ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम है। डॉलर की कीमत 2014 में 59 रूपए थी जो 83 रुपए 60 पैसे तक पहुंच चुका है। मोदी सरकार आने के बाद से देश के सार्वजनिक उपक्रम, देश के संसाधन, चंद पूंजीपति मित्रों को बेचे जा रहे हैं। बैंक, बीमा, रेलवे, बंदरगाह, एयरपोर्ट सहित 30 से ज्यादा बड़े सार्वजनिक उपक्रम पिछले 10 साल के मोदी राज में बेचे गए।