शिमला। हिमाचल प्रदेश में अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस के छह बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए विधानसभा स्पीकर से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। गौरतलब है कि बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिमाचल विधानसभा स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने सोमवार दोपहर बाद सुनवाई करते हुए जहां विधानसभा स्पीकर से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा वहीं वागियों को किसी तरह की राहत नहीं दी है। इस दौरान बागी विधायकों की ओर से वकील हरिश साल्वे ने पक्ष रखा जबकि अभिषेक मुन सिंघवी ने दूसरे पक्ष की पैरवी की। सुनवाई के दौरान वकील हरीश साल्वे ने कहा कि छह सीटों पर उपचुनाव नहीं होने चाहिए. हम इस पर भी रोक की मांग कर रहे हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या नॉमिनेशन की तारीख तय हो गई है? साल्वे ने बताया कि चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा कर दी है। वहीं, स्पीकर की ओर से पेश हुए वकील सिंघवी ने कहा कि चुनाव घोषणा के बाद इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट के ही पुराने आदेश स्पष्ट हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रेश इलेक्शन को हम देखेंगे कि उसका क्या करना है। इसके साथ ही कोर्ट ने बागी विधायकों से कहा कि विधानसभा की कार्रवाई में शामिल होने की इजाजत नहीं देंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका पर नोटिस तो जारी करेंगे, लेकिन स्पीकर के आदेश पर रोक नहीं लगाएंगे।