रायपुर। भाजपा सरकार द्वारा कोल परिवहन की अनुमति फिर से ऑनलाइन किये जाने को कांग्रेस ने अडानी को फायदा देने वाली नीति बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार केंद्र के रिमोट से संचालित है, अब फिर से ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करके कोल परिवहन में छत्तीसगढ़ के हिस्से की राशि के लिए पूरी तरह से केंद्र के नियंत्रण पर आश्रित व्यवस्था लागू कर दी गई है। खनिज संसाधन छत्तीसगढ़ और नियंत्रण मोदी, शाह, अडानी का? यह है साय सरकार की नीति। दरअसल भाजपा का रवैया छत्तीसगढ़ के आर्थिक हितों के खिलाफ है। कोल की रायल्टी के पेनल्टी का छत्तीसगढ़ के हक का बकाया 4140 करोड़ वर्षों से केंद्र की मोदी सरकार के पास लंबित है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केवल कोल परमिट की व्यवस्था ऑनलाइन कर देना पारदर्शिता की गारंटी नहीं हो सकती है, पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने तो ऑनलाइन टेंडरिंग में भी 6000 करोड़ का घोटाला किया था, जिस कंप्यूटर से निविदा निकाली गई थी उन्हीं कंप्यूटर से निवेदन जमा भी कर दी गई थी। कोल परिवहन में ऑनलाइन परमिट संग्रहित राशि सीधे केंद्र के पास जाता था, राज्य का हिस्सा मिलने में अनावश्यक विलंब होता था, केंद्र की मोदी सरकार दुर्भावना पूर्वक राज्य के हक की राशि रोके रखती थी, जिसके कारण से पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कोल परिवहन में मैन्युअल एनओसी जारी करने का प्रावधान किया था जिसमें कलेक्टर के माध्यम से एनओसी जारी की जाती थी जिससे राज्य के हक का पैसा तत्काल राज्य सरकार के कोष में जमा होने लगा था।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोल परिवहन में पुराने नियम में गड़बड़ी बताना भाजपा का षड़यंत्र है। कोल परिवहन के लिए एसईसीएल मापदंड तय करता है, 2018 से 2023 के बीच जो भी दरें तय हुए वह टेंडर के जरिए ही हुए, 2012 की तुलना में कम दरों पर परिवहन हुआ, ऑनलाइन टेंडर जारी किए गए, देशभर के पत्र पत्रिकाओं में टेंडर का प्रकाशन हुआ कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल छत्तीसगढ़ को बदनाम करने अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा आदतन भ्रष्टाचारी है। विगत दिनों सीएजी ने केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत योजना में हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर, लगभग 10 लाख आयुष्मान कार्ड ऐसे मोबाइल नंबर से पंजीकृत किए गए हैं जो नंबर किसी को जारी ही नहीं किया गया, अर्थात फर्जी, मृत व्यक्तियों के इलाज के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ। अतः प्रमाणित है कि ऑनलाइन व्यवस्था भ्रष्टाचार रोकने की गारंटी नहीं है। नान और धान के घोटाले, अगस्ता और पनामा, डीकेएस घोटाला, प्रियदर्शनी महिला सहकारी बैंक घोटाला, उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट में स्वीकारोक्ति जैसे भ्रष्टाचार के सैकड़ो प्रकरण भाजपाईयों की बदनीयती का प्रमाण है।