लोकतंत्र को कुचलने वाले सुचिता की बात करते हैं- वंदना राजपूत

0 कोर्ट के स्थगन आदेश को भाजपा नेता पचा नहीं पा रहे हैं

रायपुर। महिला आयोग अध्यक्ष पद पर रंजना साहू के सुचिता वाले बयान पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के प्रवक्ता कोर्ट के आदेश का अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगाया है और कोर्ट ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जुलाई 2026 तक महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक रहेंगी।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता रंजना साहू को बयान जारी करने से पहले उन्हें नैतिकता के नाते कुछ विधि का ज्ञान रखना था क्योंकि कांग्रेस की सरकार में इसी आयोग में एक माननीय सदस्य श्रीमती खिलेश्वरी किरण ने अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा किया था उसी तरह से बाल आयोग के अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे जी ने भी अपना कार्यकाल पूरा किया था, पिछड़ा वर्ग में भी अध्यक्ष ने अपना कार्यकाल पूरा किया था तब उन्हें राजनीतिक सुचिता का पाठ क्यों नहीं पढ़ाया गया ऐसे अनगिनत उदाहरण है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता को पहले अपने पार्टी के नेताओं को सुचिता का पाठ पढ़ना चाहिए। उन्होंने इस देश में प्रजातांत्रिक मूल्य का हनन एक बार नहीं कई बार किया है बार-बार किया है। संविधान व लोकतांत्रिक मूल्यों का कांग्रेस ने हमेशा आदर किया है। भाजपा सरकार को और भाजपा प्रवक्ताओं को अगर कोर्ट के आदेश से कोई तकलीफ है तो सार्वजनिक बयान बाजी करने से अच्छा है अपनी बातों को न्यायालय जाकर न्यायालय के समक्ष रखना चाहिए। भाजपा प्रवक्ताओं को न्यायालय के आदेश पर नैतिकता के नाते कहने का कोई अधिकार नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए संवैधानिक पद पर बैठी हुई अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के जिस आदेश पर रोक लगाई है उसे भाजपा के नेता पचा नहीं पा रहे हैं उनकी पीड़ा वेदना और तकलीफ साफ दिखाई दे रहा है। केंद्र में काबिज भाजपा सरकार हुक्मरानों को जिन्होंने लगातार लोकतांत्रिक संवैधानिक संस्थाओं को तोड़ने मरोड़ने का काम किया है अपने सत्ताबल, बाहुबल, धनबल का प्रयोग करते हुए चुनी हुई लोकप्रिय सरकारों को गिराना कहां की सुचिता है? पहले अपने आकाओं को सुचिता का पाठ पढ़ाये फिर हमें ज्ञान दें। जिस प्रकार संसद में 143 सांसदों को निलंबित किया गया है क्या यह लोकतंत्र की हत्या नहीं है? क्या यह राजनीतिक सुचिता की श्रेणी में आता है? जिस प्रकार आज इस देश में आवाज उठाना किसी मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करना भाजपा के लोगों को पाप लगता है 143 सांसदों को निलंबित करना व जिस भाजपा सांसद के द्वारा जारी किए गए पास से संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई गई थी ना तो उनसे पूछताछ किया गया ना ही उन्हें अभी तक निलंबित किया गया है क्या यही भाजपा के नेताओं की नजरों में सुचिता है? क्या यही उनकी असली चाल चरित्र और चेहरा है? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा “सुपा बोले तो बोले छलनी क्या बोले जिसमें खुद बहत्तर छेद“ ज्यादा बेहतर होगा।

 

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