प्रधानमंत्री मोदी द्वारा “वैड इन इंडिया” आह्वान देश की अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को मज़बूत करेगा – अमर पारवानी

0 डेस्टिनेशन शादियों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये विदेश में हर साल विदेश में खर्च

रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कल मेक इन इंडिया की तर्ज़ पर “ वैड इन इंडिया” का आह्वान किया जिसे कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बेहद सामयिक एवं वक़्त की ज़रूरत बताते हुए कहा कि देश भर के व्यापारी प्रधानमंत्री श्री मोदी की इस आवाज़ का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं क्योंकि इससे न केवल भारत के व्यापार में वृद्धि होगी बल्कि देश की मुद्रा जो अनावश्यक रूप से देश से बाहर जा रही है, पर अंकुश लगेगा। गत 26 नवम्बर को प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा अपने मन की बात कार्यक्रम में जब पहली बार इसका जिक्र उन्होंने किया तब से कैट ने देश भर में व्यापारियों एवं सिविल सोसाइटी के बीच देश में ही डेस्टिनेशन वेडिंग को प्रोत्साहित करने का एक अभियान चलाया हुआ है।

विदेशों में भारतीय लोगों द्वारा डेस्टिनेशन शादियों के बारे में अभी तक कोई अधिकृत सर्वे नहीं हुआ है, इसलिए यह अन्दाज़ लगाना मुश्किल हैं कि यह कारोबार कितना होगा लेकिन फिर भी एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 5 हज़ार डेस्टिनेशन शादियाँ विदेशों में होती हैं जिसमें लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।

कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों में ही लगभग 100 प्रमुख शहरों में तथा उसके आस पास लगभग 2 हज़ार से अधिक ऐसे स्थान हैं जहां डेस्टिनेशन शादियाँ हो सकती हैं और यदि देश का संपन्न वर्ग यदि विदेश के बजाय इन स्थानों पर डेस्टिनेशन शादियाँ करना शुरू करे तो बाक़ी लोग भी विदेश की बजाय भारत में ही डेस्टिनेशन शादी करने में उनका अनुसरण करेंगे। जिनमें मुख्य रूप से गोवा, महाराष्ट्र में लोनावाला, महाबलेश्वर, मुंबई, शिरडी, नासिक, नागपुर, गुजरात में द्वारिका, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, मध्य प्रदेश में ओरछा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, छत्तीसगढ में रायपुर, राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, पुष्कर, उत्तर प्रदेश में मथुरा, वृंदावन, आगरा, वाराणसी, कानपुर, दक्षिण भारत में चेन्नई, यादगिरी हिल, ऊटी, बंगलौर, हैदराबाद, तिरूपति, कोचीन, त्रिची, कोयंबतूर, पॉण्डिचेरी सहित दिल्ली एनसीआर में दिल्ली, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, गुड़गाँव, मानेसर, बहादुरगढ़, फ़रीदाबाद तथा पंजाब-हरियाणा में चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर तथा जम्मू के नाम उल्लेखनीय हैं ।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि धनाढ्य लोगों का एक वर्ग विदेशों में डेस्टिनेशन शादियाँ कर रहा है जो देश में शादी समारोह करने की बजाय विदेश में शादी करना अपनी शान समझता है एवं जिसके कारण भारत के लोगों का एक बड़ा व्यापार विदेश को मिल जाता है जबकि भारत में ही बड़ी संख्या में ऐसे स्थान हैं जहां पर डेस्टिनेशन शादियाँ बेहद शानों शौक़त से हो सकती हैं।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि ये सभी स्थान मध्यम बजट से लेकर किसी भी बड़े बजट की डेस्टिनेशन शादियों को करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है। शादी करवाने के लिए आम से लेकर ख़ास सुविधा एवं इंतज़ाम प्रदान करने वाली कंपनियों या ग्रुपों का एक बड़ा नेटवर्क पिछले वर्षों में भारत में विकसित हुआ है और इसीलिए शादियों से संबंधित सामान एवं सेवाएँ आज देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुकी हैं । डेस्टिनेशन शादी चाहे देश में हो या विदेश में, उन्हें संपन्न कराने में इन कंपनियों या समूहों जा सबसे बड़ा योगदान होता है। अक्सर प्रति वर्ष शादियों के मामले में देश में विभिन्न स्थानों पर हुई डेस्टिनेशन शादियाँ अपनी भव्यता अथवा अपनी विशेषताओं के कारण चर्चा का विषय बनती हैं जो इस बात को साबित करता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आह्वान भारत का धन देश में ही खर्च हो कि भावना के अनुरूप है तथा डेस्टिनेशन शादियाँ यदि अपने देश में ही हों, तो न केवल भारतीय संस्कार पल्लवित होंगे बल्कि देश के व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और बड़ी मात्रा में स्थायी एवं अस्थायी रोज़गार भी उपलब्ध होंगे।

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