रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को अप्रत्यक्ष रूप से इन्वेंट्री ई-कॉमर्स में शामिल होने से रोकने का आग्रह किया है, जो एफडीआई नीति द्वारा सख्ती से प्रतिबंधित है। भारत की एफडीआई नीति ने भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानी छोटे और पारंपरिक व्यापारियों के हितों की रक्षा करने और उन्हें बड़े विदेशी कंपनियों द्वारा विस्थापित होने से रोकने के लिए मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड (एमबीआरटी) में एफडीआई को हमेशा प्रतिबंधित किया है और इसीलिए इन्वेंट्री ई-कॉमर्स में एफडीआई को प्रतिबंधित किया है।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि भारत को दुनिया के साथ तालमेल बनाए रखने में मदद करने के लिए, 2013 में पहली बार एमबीआरटी (सरकारी मार्ग के माध्यम से) में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी। उसी को आगे बढ़ाते हुए, 2016 के प्रेस नोट 3 के माध्यम से ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी। हालांकि, एफडीआई नीति के कुछ प्रावधानों में एक गंभीर विरोधाभास उत्पन्न हुआ, जिसके कारण विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अप्रत्यक्ष रूप से फ़ूड में इन्वेंट्री ई-कॉमर्स कर रहे हैं।
कैट ने इस संबंध में एफ़डीआई रिटेल पालिसी के प्रावधान 5.2.15.2.3 का ज़िक्र किया है जिसमें ई-कॉमर्स क्षेत्र पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए दिशानिर्देश दिये गये हैं जिनके अनुरूप पप) ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं है तथा 5.2.5.1 एफडीआई नीति के प्रावधानों के अधीन, ’विनिर्माण’ क्षेत्र में विदेशी निवेश स्वचालित मार्ग के तहत है। इसके अलावा, किसी निर्माता को भारत में निर्मित अपने उत्पादों को सरकारी मंजूरी के बिना, ई-कॉमर्स सहित थोक और/या खुदरा माध्यम से बेचने की अनुमति है।’ जबकि 5.2.5.2 व्यापार क्षेत्र पर एफडीआई नीति प्रावधानों के बावजूद, भारत में निर्मित और/या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स सहित खुदरा व्यापार के लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।“
श्री पारवनी और श्री दोशी दोनों ने कहा कि 5.2.15.2.3 के अनुसार, यह स्पष्ट है कि इन्वेंट्री ई-कॉमर्स में एफडीआई सख्ती से और स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है। 5.2.5.1 के अनुसार, एक निर्माता (जो स्वयं माल का उत्पादन करता है) के लिए स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई की अनुमति है और केवल निर्माता को ई-कॉमर्स सहित थोक और खुदरा के माध्यम से अपना माल (भारत में उसके द्वारा निर्मित) बेचने की अनुमति है। लेकिन विरोधाभास 5.2.5.2 द्वारा निर्मित किया गया है जिसमें कहा गया है कि व्यापार क्षेत्र पर प्रावधानों के बावजूद, “भारत में निर्मित और/या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स सहित खुदरा व्यापार के लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।
यह प्रावधान यह आभास देता है कि किराना/खाद्य क्षेत्र में, भारत में न केवल खाद्य/किराने के सामान के निर्माण के लिए बल्कि खाद्य/किराने के सामान के व्यापार (थोक, खुदरा और ई-कॉमर्स के माध्यम से) के लिए भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। इस प्रावधान की आड़ में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कॉमर्स कंपनियाँ तीसरे पक्ष के निर्माताओं द्वारा भारत में निर्मित वस्तुओं का व्यापार (ई-कॉमर्स के माध्यम से) करके और उन्हें अपने प्लेटफार्मों पर निजी लेबल के रूप में बेचकर इन्वेंट्री ई-कॉमर्स कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल खंड 5.2.15.2.3 और 5.2.5.1 का उल्लंघन करता है, बल्कि इन्वेंट्री ई-कॉमर्स में एफडीआई को प्रतिबंधित करने की एफडीआई नीति के इरादे का भी उल्लंघन करता है। कैट ने श्री गोयल से विसंगति को दूर करने और सरकार की मंशा को सभी के सामने स्पष्ट करने के लिए एफडीआई नीति के खंड 5.2.5.2 में संशोधन करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।