रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि आज कैट ने श्री गुरुनानक देव जी प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित नगर कीर्तन शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया गया।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया की गुरु नानक जयंती सिखों द्वारा मनाए जाने वाले गुरू पर्व में से एक है। गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक के जन्म का प्रतीक है, जो सिखों के सभी दस गुरुओं में से पहला है, जिसका नाम नानक है। गुरू पर्व दुनिया भर में हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को हुआ था। उनका विश्वास एक ईश्वर के अस्तित्व पर था। उन्होंने हर जगह यात्रा की, जहां उन्होंने संदेश फैलाया। एक शिक्षक के रूप में, उनकी शिक्षाओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में दायर किया जाता है। उनका उपदेश एक ईश्वर पर आधारित था और यह ईश्वर कैसे बिना किसी भेदभाव के सभी को प्यार करता है।
कैट के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष परमानन्द जैन एवं प्रदेश महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह ने बताया कि गुरूनानक जी अनुयायी सिख के रूप में जाने जाते हैं। वे हर साल अपने गुरु, गुरु नानक देव का जन्मदिन गुरु नानक गुरु पर्व के नाम से मनाते हैं। गुरू पर्व की शुरुआत गुरुद्वारों में सुबह की प्रभात फेरी से होती है। गुरू पर्व से पहले, गुरुद्वारों में लगातार अड़तालीस घंटे तक सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को पढ़ने की परंपरा है। नगर कीर्तन शोभायात्रा के माध्यम से इस दिन गुरु नानक जी का संदेश फैलाया। नगर कीर्तन शोभायात्रा के दौरान, स्थानीय बैंड भजनों के साथ सिख वैवाहिक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। निः शुल्क सांप्रदायिक दोपहर का भोजन, सेवा और भक्ति की भावना के साथ, वर्ग, जाति या पंथ के बावजूद सभी को भोजन देने के विचार को दर्शाता है। गुरु नानक देव का गुरू पर्व बिना किसी भेदभाव के समानता सिखाता है। उपरोक्त कार्यक्रम में कैट एवं युवा टीम के पदाधिकारी मुख्य रूप उपस्थित रहे :- अमर पारवानी, परमानन्द जैन, अमर गिदवानी सुरिन्द्रर सिंह, अवनीत सिंह, अमर धीगांनी, नेरन्द्र दुग्गड, जयराम कुकरेजा, संजय जयसिंह, महेन्द्र बागरोडिया, मोहन वर्ल्यानी, विक्रांत राठौर, परविन्दर सिंह, भूपेन्द्रर सिंह, नागेन्द्र तिवारी, मनीष सोनी, सर्वेश दौलतानी, अमीत गुप्ता, सुशील लालवानी, शैलेन्द्र शुक्ला, राकेश लालवानी, सुरेश कुमार वासवानी, एवं रतनदीप सिंह आदि।