(अर्जुन झा) लहंडीगुड़ा। छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य के पर्याय चित्रकोट के विकास की गाथा एक तिकड़ी के जिक्र के बिना अधूरी है। चित्रकोट विधानसभा इलाके में इस तिकड़ी की बादशाहत लोगों के दिलों में राज करती है। बस्तर सांसद चुने जाने के पहले दीपक बैज चित्रकोट विधायक हुआ करते थे। चित्रकोट के आंगन में उनके विकास के काम नजर आए तो विधानसभा में प्रतिपक्ष के विधायक के तौर पर उनका जोशीला संघर्ष यादगार बना। जब वे 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर को तोड़कर बस्तर सांसद बन गए तो उनका संघर्ष लोकसभा में सबके आकर्षण का विषय बन गया। आदिवासी हितों के लिए लोकसभा में उनकी सक्रियता ने देश को बता दिया कि मुद्दत बाद बस्तर की भावना का झरना किस तरह व्यक्त हो रहा है। दीपक बैज आदिवासी समाज के राष्ट्रीय हित चिंतक के तौर पर उभरे तो कांग्रेस के अपने अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। वह दीपक के जन्मदिन का तोहफा था। छत्तीसगढ़ के लिए दिल्ली में दीपक के संघर्ष का दायरा बढ़ता गया और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को अहसास हुआ कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस संगठन को दीपक जैसे युवा, तेजतर्रार और सबको साथ लेकर चलने वाले विनम्र नेतृत्व की जरूरत है। चुनाव के तीन महीने पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई।
दीपक बैज ने इन तीन महीने में दिन रात मेहनत कर युवाओं को कांग्रेस के काम पर लगा दिया। युवाओं को आभास करा दिया कि कांग्रेस ही युवा नेतृत्व को अवसर प्रदान करती है। जब दीपक बैज ने बस्तर सांसद चुने जाने के बाद चित्रकोट की विकास यात्रा की धरोहर राजमन बेंजाम को सौंपी तो चित्रकोट के विकास को दोहरी ताकत मिल गई। दीपक और बेंजाम अपनी धरती का विकास करते रहे तो लोक त्योहारों पर साथ साथ थिरकते रहे। यह विकास के सुर और ताल का संगम कायम है। दीपक अब चित्रकोट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं तो उनकी जिम्मेदारी पूरे प्रदेश की है। लिहाजा उनके लिए मैदान में बेंजाम और बलराम डटे हुए हैं। अब चुनाव को तीन दिन शेष बचे हैं तो कहा जा रहा है कि इस तिकड़ी की बादशाहत कांग्रेस के लिए वरदान साबित होगी।