0 भाजपा सांसद व चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक सोनी ने कहा : बघेल का छत्तीसगढ़ियावाद बेनकाब हुआ, यह पाखण्ड अब बिल्कुल नहीं चलेगा
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के सांसद और चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक सुनील सोनी ने कहा है कि छत्तीसगढ़िया का दंभ ठोकने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जब राज्यसभा सदस्य भेजने मौका मिला तो सारे सदस्य अन्य प्रदेश के नेताओं को बनाकर भेज दिया। क्या छत्तीसगढ़ में योग्य लोग नहीं थे? लेकिन छत्तीसगढ़िया होने का दंभ दिखाएंगे, यह पाखंड अब बिल्कुल नहीं चलेगा। कांग्रेस का यह दोहरा राजनीतिक चरित्र बेनकाब हो चुका है। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस और भूपेश सरकार के बेनकाब घिनौने चेहरे को देख लिया है।
भाजपा सांसद और चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक श्री सोनी ने कहा कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं और यहाँ जो 15 साल भाजपा की सरकार के बारे में तो वह बिल्कुल नहीं जानते। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भूपेश सरकार की स्क्रिप्ट पढ़कर जो घोषणाएँ आज कर रहे हैं, उससे दुगुना तो भाजपा की पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों दे दिया ही है। उन सारी सुविधाओं को कांग्रेस की सरकार ने बंद कर दिया, इसलिए अब कांग्रेसी उलझ गए हैं। इनके पास अब चूँकि करने के लिए कुछ है नहीं, इसलिए अब वे वास्तविकता पर आ रहे हैं और भाजपा ने अपने 15 साल के शासनकाल में जितना किया, उससे आधा करने का प्रलोभन दे रहे हैं। श्री सोनी ने कहा कि प्रदेश के सामने हाथ में गंगाजल लेकर पूर्ण शराबबंदी की भूपेश बघेल ने सौगंध खाई थी और 2,000 हजार करोड़ रुपए से अधिक का शराब घोटाला करके पूरे प्रदेश को शराब के गर्त में धकेल दिया। तमाम तरह के और भी वादे किए थे। सच्चाई यह है कि पंचायतों को पाँच वर्षों में विकास कार्यों के लिए एक रुपया तक नहीं पहुँचा है।
भाजपा सांसद और चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक श्री सोनी ने कहा कि कांग्रेस ने 2,500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी कही थी। वह बेरोजगार युवकों को कहाँ मिला? पाँच साल हो गए, प्रदेश का बेरोजगार युवा रजिस्ट्रेशन कराके भत्ते के लिए घूम रहा है। कांग्रेस ने कहा था कि 10 लाख युवा बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देंगे, आज सत्ता से चला-चली की बेला में महज कुछ हजार युवकों के भत्ते के लिए सिर्फ 250 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जबकि घोषणापत्र जारी करते समय यह राशि 3 हजार करोड़ रुपए सालाना बताई गई थी। तो पाँच साल के 15 हजार करोड़ रुपए पर प्रदेश सरकार कुंडली मारकर बैठ गई। यह भत्ता देना तो दूर, पीएससी की गड़बड़ियों को लेकर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जो फटकार लगाई है, उसकी जाँच तक की घोषणा भूपेश सरकार ने नहीं की है।