0 कांग्रेस में अब सब साथ- साथ हैं
(अर्जुन झा ) रायपुर। चुनावी वक्त में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस राजनीति कदम से कदम मिलाकर चल रही है। इसके पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वह रणनीति है, जो उन्होंने संगठन की कमान युवा नेतृत्व को देने में अहम भूमिका निभाई और एक ही झटके में नई और पुरानी पीढ़ी के बीच समन्वय स्थापित करवा दिया। जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर पारी पूरी कर चुके मोहन मरकाम को संगठन के दायित्व से मुक्त कर सत्ता की राजनीति में नई भूमिका दी गई और बस्तर सांसद दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, तब कांग्रेस की वह जरूरत पूरी हो गई जो चुनावी समय में एकदम आवश्यक थी। पुरानी कहावत है कि एक को साधे सब सधे, सब सधे सब जाए। भूपेश बघेल ने राजनीतिक रणकौशल दिखाते हुए संगठन को साध लिया। संगठन सध गया तो समझो सब सध गया। सत्ता के स्तर पर भूपेश बघेल जो कर सकते हैं, वह तो वे पौने पांच साल से कर ही रहे हैं। चुनाव के समय मैदान में संगठन सामने होता है और सत्ता पीछे चली जाती है। जबकि शेष समय सत्ता आगे होती है और संगठन पीछे चला जाता है। संगठन की अहमियत कभी समाप्त नहीं होती लेकिन उसे सत्ता काल में सत्ता के साथ चलना होता है।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे मौजूदा मंत्री मोहन मरकाम ने अपने कार्यकाल के दौरान सत्ता और संगठन के बीच पर्याप्त समन्वय स्थापित करने की कोशिश की लेकिन कार्यकाल समाप्ति के बाद जब उन्हें अतिरिक्त समय मिला, तब सत्ता और संगठन के बीच कुछ गतिरोध खुलकर सामने आए। यह तो तय था कि मोहन मरकाम को नए चुनाव के पहले संगठन की सरदारी से मुक्त किया जाएगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के समय यह संकेत मिल गए थे कि अधिवेशन निपटने के बाद फेरबदल हो सकता है। इस बीच सांसद दीपक बैज का नाम नए अध्यक्ष के तौर पर सबसे आगे आ चुका था। लेकिन मामला कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद अचानक दिल्ली से फैसला आ गया और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा सांसद दीपक बैज को सौंप दी गई। विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए दीपक बैज को बहुत कम समय मिला है। इसलिए उन्हें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, जो भी कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई का उत्तरदायित्व देने के लिए दीपक बैज को ही क्यों चुना? दरअसल दिल्ली में सांसद बैज छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व दमदारी से करते रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भावनाओं के अनुरूप संसद में छत्तीसगढ़ की आवाज बुलंद करते रहे हैं और यहां जिन बातों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उठाते हैं, उन्हें संसद में उठाने की जिम्मेदारी दीपक बैज ने बखूबी निभाई है। वह युवा हैं तो जाहिर है कि युवा पीढ़ी के कांग्रेसी उनसे प्रभावित होंगे। दूसरी बात यह है कि दीपक बैज की कार्यशैली ऐसी है कि विरोधी विचारधारा के लोग भी उनकी बात को वजन देते हैं। चुनाव में केवल आंतरिक राजनीति की बात की जाती है तो कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में जो मोहन मरकाम के संगठन नेतृत्व के समय चल रहा था, वह दीपक बैज ने एकदम उलट दिया है। अब कांग्रेस के बड़े से बड़े नेता और छोटे से छोटे नेता सब मिलकर काम कर रहे हैं। वजह यह है कि पूरी कांग्रेस को जोड़ने का काम दीपक बैज ने कर दिया है। ऐसा कहा जा सकता है कि एक सुनियोजित रणनीति के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सांसद दीपक बैज का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें प्रदेश संगठन का नेतृत्व उपलब्ध करवाया इस कसौटी पर अब तक दीपक बैज एकदम खरे उतरे हैं और उन्होंने कांग्रेस संगठन में जो एक गड्ढा दिख रहा था, उसे भरने की सफल कोशिश की है।