(अर्जुन झा)
जगदलपुर। नगरनार इस्पात संयंत्र के मोर्चे पर कांग्रेस की गुगली में भाजपा उलझ गई है। कांग्रेस ने 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का आह्वान कर दिया है। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में होंगे और निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन हो रहा होगा। अब मोदी अगर यह कह पाते हैं कि नगरनार संयंत्र का निजीकरण नहीं होगा तो ठीक, अगर नहीं कह पाये तो बस्तर में यह विधान सभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन जाएगा। इस चुनाव के लिए भाजपा ने जो सपने देखे हैं वे सपने ही रह जाएंगे और सारी मेहनत और उम्मीद पर पानी फिर जायेगा।नगरनार संयंत्र बेचने के विरोध में 3 अक्टूबर को बस्तर बंद के आयोजन को प्रदेश कांग्रेस के कमांडर बस्तर सांसद दीपक बैज ने पूरा समर्थन व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा की मोदी सरकार बस्तर के नगरनार में एनएमडीसी द्वारा लगाये गये इस्पात संयंत्र को बेच रही है। नगरनार इस्पात संयंत्र बस्तर के लोगों की भावनाओं और उनके आर्थिक हितों से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है। बस्तर के लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिये कांग्रेस जन आंदोलन छेड़ेगी। हम 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का पूरा समर्थन करते हैं। नगरनार इस्पात संयंत्र बस्तर की स्थानीय जनता की जमीन पर बनाया गया है। लोगों ने अपनी जमीनें इसलिये दी कि संयंत्र लगेगा तो उनका भविष्य उज्जवल होगा। रोजगार मिलेगा। बस्तर और छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदलेगी। नगरनार इस्पात संयंत्र और बैलाडीला एनएमडीसी की स्थापना में हमारे बस्तर के लोगों ने बहुत कुछ खोया है और जब आज कुछ पाने का दिन आया है तो केंद्र सरकार निजीकरण कर रही है। जिसके चलते हमारा बस्तर ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के बेरोजगार, आदिवासी समाज, अन्य समाज काफी आक्रोशित। बैज बता रहे हैं कि नगरनार स्टील प्लांट के लिये लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो सार्वजनिक प्रयोजन के लिये ली गई है। साथ ही नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निःशुल्क उपलब्ध करायी गयी है। राज्य शासन से जो जमीन एनएमडीसी को हस्तांतरित की गई है, उसकी पहली शर्त यही है कि भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किये जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा। इस संयंत्र से 12544 लोगों को सीधे और हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। नगरनार इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ राज्य की जनता के सपनों को साकार करने का माध्यम है। इस संयंत्र के साथ राज्य एवं विशेषकर राज्य के पिछड़े अंचल बस्तर की जनभावनाएं जुड़ी हुई हैं। बस्तर सांसद दीपक बैज ने नगरनार संयंत्र बचाने के लिए दिल्ली में बहुत मेहनत की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भूपेश बघेल ने नगरनार के मुद्दे पर 2017 में मोर्चा खोला तो मुख्यमंत्री के रूप में नगरनार बचाने के लिए संकल्प पारित कराया। उन्होंने बहुत कोशिश की कि नगरनार संयंत्र बेचना ही है तो राज्य सरकार को दिया जाए। इससे छत्तीसगढ़ और बस्तर की जनता के हित सुरक्षित रहेंगे। अब यह मुद्दा केवल कांग्रेस का नहीं रह गया है। बस्तर के विभिन्न संगठन, बस्तर के नवजवान, सामाजिक, राजनीतिक संगठन भी नगरनार बचाने लामबंद हो गए हैं। नेतृत्व स्वाभाविक रूप से कांग्रेस ही करेगी। अब इस पेंच में भाजपा बुरी तरह फंस गई है। अब मोदी सरकार कृषि कानून की तर्ज पर कदम पीछे करती है तो ही वह कुछ राहत महसूस कर सकती है। अगर निजीकरण पर अडिग रही तो नगरनार बस्तर के स्वाभिमान का विषय बन सकता है।