0 नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली स्थिति हो गई है
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व शिक्षा मंत्री एवम भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने कहा कि प्रदेश में दो वर्ष पूर्व खोले स्वामी आत्मानंद स्कूलों में भारी अनियमितताओं की शिकायत मिल रही हैं यहां काम करने वाले शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा हैं और शिक्षकों सहित आवश्यक पदों पर भर्ती भी नहीं की जा रही हैं पद रिक्त होने के कारण पढ़ाई ठप्प हो रही हैं जिसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा हैं।
उन्होने कहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केवल स्वामी आत्मानंद स्कूलों के मॉडल का उदाहरण देश भर में देते रहते है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बड़े बड़े विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमका रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि आधा शिक्षण सत्र बीत गया है पर प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिसका सीधा असर यहां पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ रहा हैं बहुत से जिलों में तो पालकों ने इसकी शिकायत तक अधिकारियों से की हैं। शिक्षकों को समय पर वेतन का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। दो से तीन महीने विलंब से ही वेतन दिया जाता है । लाइब्रेरियन का वेतन भी ज़िलों में एक समान नहीं है। नॉन टीचिंग स्टाफ बताकर उन्हें कम वेतन दिया जा रहा हैं। वहीं आत्मानंद स्कूलों के संचालन में नियमों में भी भिन्नता है मुख्यमंत्री की घोषणा और राजपत्र में प्रकाशन के बावजूद इनके संचालन के नियम भिन्न भिन्न है। प्रतिनियुक्ति के नाम पर कुछ आत्मानंद स्कूलों में पुराने सरकारी स्कूलों के हिंदी मीडियम के शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है जिसके कारण उन स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई हैं। 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि के संबंध में अभी तक स्पष्ट नहीं हैं की ये वृद्धि आत्मानंद स्कूलों के संविदा शिक्षकों को मिलेगी की नहीं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जहां भी जाते हैं छत्तीसगढ़ के शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा पीटते है दूसरे राज्यों को इस मॉडल का उदाहरण देते हुए अपने राज्यों में लागू करने कहते हैं पर केवल ढिंढोरा पीटने और मॉडल स्कूल का दावा करने से कुछ नहीं होता जबकि ये विज्ञापन देकर चेहरा चमकाने तक ही सीमित रह गया हैं। राजधानी रायपुर सहित कुछ ज़िलों में तो एडमिशन दिलाने के नाम पर ठगी करने की शिकायतें भी मिली है यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सच में प्रदेश के आत्मानंद स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भला चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले यहां व्याप्त अनियमितताओं को दूर करना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मॉडल स्कूल होने का झूठा दावा मत करिए और न ही इसका ढिंढोरा पिटिए।