0 होलसेल कारीडोर बनेगा भारत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र, शिलान्यास के बाद मुख्यमंत्री जी ने 117 करोड़ रुपये की मंजूरी दी
रायपुर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि आज केबिनेट की बैठक में नवा रायपुर में प्रस्तावित होलसेल कोरिडोर के निर्माण हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 117.86 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। चेंबर अध्यक्ष अमर पारवानी ने प्रदेश के 12 लाख व्यापारियों की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
नवा रायपुर में दक्षिण पूर्व मध्य एशिया का सबसे बड़ा होलसेल कारीडोर बहुत ही जल्द आकार लेने वाला है। 26 सितंबर को केबिनेट की बैठक में मुख्यममंत्री ने होलसेल कारीडोर के निर्माण के लिए 117.86 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है जिसके लिए चेंबर अध्यक्ष अमर पारवानी ने प्रदेश के 12 लाख व्यापारियों की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त किया। इस मंजूरी के बाद से ही होलसेल कारीडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अथक प्रयासों के बाद छत्तीसगढ़ के व्यापार जगत को यह ऐतिहासिक सौगात मुख्यमंत्री से मिली है। ज्ञातव्य है की 12 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा नवा रायपुर में चैंबर आफ कॉमर्स के पदाधिकारी एवं व्यापारियों की मौजूदगी में होलसेल कारीडोर का शिलान्यास किया था। राज्य सरकार एवं चेंबर के संयुक्त प्रयास से सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के हजारों युवाओं को यहां रोजगार प्राप्त होगा साथ ही प्रदेश के राजस्व में भी वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री के घोषणा के परिपालन में होलसेल कॉरिडोर हेतु चिन्हित स्थान में व्यापारियों को 540 रुपये प्रति वर्गफुट की कीमत पर जमीन मिलेगी इसके लिए श्री पारवानी ने मुख्यमंत्री जी का पुनः धन्यवाद किया। शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुक्त कंठ से इस प्रोजेक्ट की तारीफ की थी और कहा था कि यह छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा। छत्तीसगढ़ सात राज्यों की सरहदों को जोड़ता है। इसलिए यह होलसेल कारीडोर छत्तीसगढ़ के व्यापारिक और आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चैंबर के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बारीकी से समझा और व्यापार जगत को सबसे बड़ी सौगात दी। होलसेल कारीडोर चैंबर के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। होलसेल कारीडोर में प्राथमिकता के आधार पर कुल 1,083 एकड़ पर व्यावसायिक क्लस्टर अनुसार जोनिंग प्लान तैयार किया गया है, जिसका विकास चरणबद्ध रूप से किया जाना प्रस्तावित है।
होलसेल कारीडोर के बारे में:- प्रथम चरण में 1250 दुकानों का किया जाएगा निर्माण ।
कमर्शियल हब : प्रथम चरण में 1250 थोक व्यावसायिक दुकानों का होगा निर्माण कमर्शियल हब के प्रथम चरण में 20 व्यवसायों के लगभग 1,250 थोक व्यावसायिक दुकानों के विकास हेतु भू-खण्डो का प्रावधान किया गया है जिसमें थोक किराना, अगरबत्ती, होलसेल बारदाना, दाल मिल, पेपर ट्रेड आदि हेतु पृथक-पृथक प्रावधान किया गया है। कमर्शियल हब के विकास हेतु राज्य शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। ‘कमर्शियल हब’ के सिटी लेवल अधोसंरचना तथा प्रथम चरण के 125 एकड़ में अधोसंरचना का विकास किया जाएगा। इस परियोजना के लिये चिन्हांकित भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 30 एवं भारत माला परियोजना के अलॉइमेंट के निकट स्थित है तथा उक्त भूमि को रेलवे कनेक्टिविटी भी प्राप्त है।
इन सेक्टरों में बनेगा:- चिन्हांकित भू-खण्ड स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से लगभग 12 किमी. पर स्थित है। चिन्हांकित भूमि ग्राम निमोरा, उपरवारा, परसी, बेन्द्री, केन्द्री, झांकी एवं मुड़पार में स्थित है। उक्त भू-खण्ड का भू-उपयोग सार्वजनिक तथा अर्ध- सार्वजनिक से मिश्रित भू-उपयोग में किया गया है। गौरतलब है कि होलसेल कॉरिडोर हेतु लगभग 7743 विभिन्न थोक व्यावसायिक आवेदन प्राप्त हुए हैं जो 124 व्यापारिक संगठनों के माध्यम से आए हैं। चेंबर द्वारा 124 व्यापारिक संगठनों से परामर्श तथा सर्वे करने के पश्चात् बाजार की मांग का आंकलन किया गया है, जिसके आधार पर मांग मूल्यांकन एवं प्रोडक्ट मिक्स निकाले गये चिन्हांकित भू-खण्ड में भूमि की उपलब्धता तथा व्यावसायिक गतिविधि की प्राथमिकता के आधार पर कुल 1,083 एकड़ पर व्यावसायिक क्लस्टर अनुसार जोनिंग प्लान तैयार किया गया है, जिसका विकास चरणबद्ध रूप से किया जाना प्रस्तावित है। नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, बसाहट तथा वाणिज्यिक गतिविधयों को बढ़ावा दिये जाने हेतु सेक्टर-23, 24, 34, 35 तथा 40 के 438.47 हेक्टेयर (1.083 एकड़) क्षेत्रफल पर थोक व्यवसायिक बाजार प्रस्तावित किया गया है। यह थोक व्यावसायिक बाजार न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि आस-पास के अन्य राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए भी लाभदायक होगा। इस परियोजना में थोक व्यवसाय से जुड़ी सभी सुविधाएं एवं भौतिक अधोसंरचना उच्च मानकों के अनुसार प्रदान की जाएगी।