नई दिल्ली। दिल्ली में 8 से 10 सितंबर तक होने जा रहे जी20 सम्मेलन में दुनियाभर के 40 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इस बीच जी20 रिसर्चर ग्रुप के डायरेक्टर जॉन जे किरटन भी सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली आए हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में जिनपिंग की गैरमौजूदगी से भारत को फायदा ही होने वाला है। इससे जी20 में भारत और ज्यादा मजबूत होगा और अपनी बात अधिक प्रभावी तरीके से रख सकेगा। उन्होंने कहा कि चीन हर बात पर रूस का ही साथ देता है, लेकिन जिनपिंग की अनुपस्थिति से उसकी बात में उतना दम नहीं रहेगा। जिनपिंग के ना आने से चीन का ही नुकसान है, भारत का कोई नुकसान नहीं है। इस ग्रुप का ज्यादा गौर जलवायु परिवर्तन जैसे मामलों पर होता है। किरटन ने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कई देश हैं जो कि फॉसिल फ्यूल का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं और वे उन्हीं पर निर्भर हैं। जब जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा होती है, तब वे अड़ंगा लगा देते हैं, जिससे कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाता। किरटन से जब इस बारे पूछा गया कि चीन और रूस की अनुपस्थिति पर क्या सोचते हैं, तब उन्होंने कहा कि इससे भारत को फायदा मिलने वाला है। अगर वह मौजूद रहते तब जाहिर सी बात है कि रूस के लिए कई सहमतियों में अड़ंगा लगा देते। किरटन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पीएम मोदी की अगुआई में होने वाले सम्मेलन का प्रदर्शन पिछले सम्मेलनों से अच्छा रहने की उम्मीद है। हालांकि दुनिया को इस समय जिस स्तर के प्रदर्शन की जरूरत है उस तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल है। रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से ईंधन, ऊर्जा और विकास का संकट पैदा हुआ है। वहीं अमेरिका में भी आर्थिक अस्थिरता देखी जा रही है। इसके अलावा चीन मंदी का शिकार हो रहा है।