जोहानसबर्ग। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत लालफीताशाही से लाल कालीन की ओर बढ़ गया है। यही वजह है कि पिछले नौ वर्षों में निर्बाध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह को सक्षम किया है।जी20 व्यापार और निवेश मंत्रिस्तरीय बैठक के एक आभासी संबोधन में पीएम मोदी ने जी20 सदस्य देशों से एक लचीला और समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखला बनाने का आह्वान किया जो भविष्य के झटकों का सामना कर सके। पीएम मोदी ने कहा कि हम लालफीताशाही से लाल कालीन की ओर चले गए हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह को उदार बनाया है। हमने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहल ने विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। इन सबसे बढ़कर, हम नीतिगत स्थिरता लाए हैं। हम प्रतिबद्ध हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कमा करेंगे।
पीएम ने कहा कि दुनिया भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्वास भरी नजरों से देख रही है और भारत को अवसरों तथा खुलेपन का संयोजन माना जा रहा है। जी 20 व्यापार एवं निवेश मंत्रियों की बैठक को वीसी के जरिए संबोधित करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया और उसने प्रतिस्पर्धा का माहौल तथा पारदर्शिता बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि आज हम भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर वैश्विक स्तर पर आशावाद तथा विश्वास देखते हैं। भारत को खुलेपन, अवसरों और विकल्पों के संयोजन के रूप में देखा जाता है। भारत ने डिजिटलीकरण का विस्तार किया है और नवाचार को बढ़ावा दिया है। मोदी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं ने विश्व अर्थव्यवस्था की परीक्षा ली और जी20 के सदस्यों के रूप में यह देशों की जिम्मेदारी है कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा निवेश में विश्वास का पुनर्निर्माण करें। बैठक में पीएम ने कहा कि हमें मजबूत और समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं बनानी चाहिए जो भविष्य में पेश होने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। इस संदर्भ में, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के मानचित्रण के लिए एक सामान्य ढांचा बनाने का भारत का प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। उन्होंने ई-वाणिज्य की वृद्धि पर कहा कि बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है। एमएसएमई हमारे निरंतर समर्थन की जरूरत है, जो कि सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन है। मुझे विश्वास है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे ताकि वैश्विक व्यापार प्रणाली धीरे-धीरे समावेशी भविष्य में बदल जाए।
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