केंद्रीय विद्यालय के मामले में केंद्र सरकार मौन क्यों: भेड़िया

0 क्षेत्रीय सांसद की चुप्पी पर भी लोग उठा रहे हैं सवाल

(अर्जुन झा)

दल्ली राजहरा। केंद्र सरकार की कामधेनु खनिज नगरी दल्ली राजहरा एक अदद केंद्रीय विद्यालय के लिए सालों से तरस रही है। क्षेत्रीय विधायक एवं भूपेश बघेल सरकार में केबिनेट मंत्री अनिला भेंड़िया केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए केंद्र सरकार से लगातार आग्रह करती आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में सारी औपचारिकताएं भी पूरी करवा दी हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही।

दल्ली राजहरा की रत्नगर्भा धरती लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है। यहां की धरा के गर्भ में आयरन ओर का अकूत भंडार है। यहां के आयरन ओर से ही भिलाई इस्पात संयंत्र की धड़कन कायम है। यहां की लौह अयस्क खदानों के दम पर केंद्र सरकार खरबों रुपयों का राजस्व प्राप्त कर रही है, मगर बदले में यहां के बाशिंदों को केंद्र सरकार ने कुछ भी नहीं दिया। और तो और अपने अधीन खनि कर्मियों, खदानों की सुरक्षा में लगे सुरक्षा बलों और यहां स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों के कर्मियों के बच्चों के भविष्य का भी ध्यान केंद्र सरकार ने नहीं रखा। दल्ली राजहरा में केंद्रीय विद्यालय खोलने की मांग कई दशकों से की जा रही है। केंद्रीय सेवा के सैकड़ों अधिकारी – कर्मचारी दल्ली राजहरा में कार्यरत हैं। केंद्रीय अर्ध सैनिक बल सीआईएसएफ के हजारों जवान भी यहां तैनात हैं, जो माइंस की संपत्तियों की सुरक्षा करने के साथ ही नक्सलियों से भी लोहा लेते रहते हैं। इन जवानों, केंद्रीय सेवा के कार्मिकों व खनि कर्मियों के बच्चों को केंद्रीय विद्यालय खुलने से उत्कृष्ट शिक्षा मिल सकती है। स्थानीय व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, उद्यमियों, क्षेत्र के आदिवासियों और किसानों के बच्चों को भी केंद्रीय विद्यालय खुलने से लाभ होता। इसकी अनदेखी करते हुए यहां के जल, जमीन और जंगल का लगातार दोहन करती आई केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय खोलने के मामले में रहस्यमय ढंग से चुप्पी साध रखी है। डौडी लोहारा क्षेत्र की विधायक तथा राज्य शासन की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया केंद्रीय विद्यालय स्थापना के लिए लगातार प्रयास करती आ रही हैं। वे माइंस प्रबंधन, बालोद जिला प्रशासन, राज्य शासन और केंद्र सरकार से दर्जनों बार पत्र व्यवहार कर चुकी हैं। उनकी पहल पर माइंस प्रबंधन, जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने तो इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए, मगर केंद्र सरकार की नींद नहीं टूट पाई। केंद्र सरकार संभवतः कांग्रेसी जनप्रतिनिधि होने के कारण अनिला भेड़िया की मांग को नजर अंदाज करती रही है। दुख की बात तो यह है कि जनहित की इस महत्वपूर्ण मांग पर क्षेत्रीय सांसद भी अब तक मौन साधे बैठे हैं। 15 साल सत्ता में रही भाजपा ने भी इस मांग की अनदेखी ही की है।

भेड़िया ने नहीं मानी हार

दल्ली राजहरा में केंद्रीय विद्यालय खुलवाने की लिए जितने प्रयास केबिनेट मंत्री और क्षेत्रीय विधायक अनिला भेंड़िया ने किए हैं, उतनेआज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने नहीं किए। श्रीमती भेंड़िया की पहल पर कलेक्टर बालोद ने केंद्रीय विद्यालय संगठन क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर से लगातार पत्राचार किया। केंद्रीय विद्यालय संगठन क्षेत्रीय कार्यालय से 15 दिसंबर 2022 को एक पत्र कलेक्टर को भेजा गया, जिसमें विद्यालय खोलने हेतु प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में प्राप्त न होने का जिक्र करते हुए निर्धारित प्रारूप में नए सिरे से प्रस्ताव भेजने कहा गया।जबकि 16 दिसंबर की तिथि में कलेक्टर कार्यालय से क्षेत्रीय कार्यालय को पत्र व प्रस्ताव भेजे गए थे। इसके बाद पुनः 30 दिसंबर को पत्र व प्रस्ताव प्रेषित किया गया। इसके बाद चिन्हांकित जमीन का स्थल निरीक्षण का हवाला देते हुए और कुछ कमियां गिनाकर केंद्रीय विद्यालय संगठन राह में रोड़े अटकाने का काम करता रहा। तमाम दांवपेंच अपनाने के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अंततः 4 जुलाई 23 को एक निरीक्षण दल दल्ली राजहरा भेजा। एक माह गुजर चुका है, आगे की कार्रवाई का कोई अता पता नहीं है। कांकेर के सांसद से भी इस बाबत बार बार अनुरोध किया जाता रहा है, किंतु उनकी चुप्पी टूटने का नाम नहीं ले रही है।

मंत्री अनिला भेड़िया के अथक प्रयासों से केंद्रीय विद्यालय स्थापना के लिए सारी औपचारिकता भी हो चुकी है। मंत्री भेड़िया ने केंद्रीय राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी से आग्रह किया है। इसके बावजूद दल्लीराजहरा को केंद्रीय विद्यालय की मंजूरी देने में केंद्र सरकार आनाकानी कर रही है। ऐसी स्थिति में पूरा डोंडी लोहारा विधानसभा क्षेत्र आक्रोश में है। दल्लीराजहरा में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से पूरा डोंडी लोहारा क्षेत्र लाभान्वित होगा। इसलिए इस मुद्दे पर भाजपा की केंद्र सरकार के मौन से उत्पन्न नाराजगी विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को भारी पड़ सकती है।

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