0 अमानक वर्मी कंपोस्ट की अनिवार्यता समाप्त की जाए-शशिकांत द्विवेदी
रायपुर। भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में पत्रकार वार्ता लेकर पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल व सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सहकारी समितियों में मनमानी कर कांग्रेस सरकार खेती किसानी की रीढ़ सहकारिता आंदोलन नष्ट करने का षड्यंत्र कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने सहकारी बैंकों एवम् सेवा सहकारी समितियों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं सहकारी संस्थाओं में जानबूझकर चुनाव नहीं कराकर अवैधानिक रूप से राजनीतिक व्यक्तियों को प्राधिकृत अधिकारी बना कर जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है, उसकी सघन जांच कर उनके द्वारा लिए जा रहे अनाप-शनाप निर्णय को शून्य घोषित कर पंजीयक से कार्रवाई मांग की है।
सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री द्विवेदी ने शुक्रवार को एकात्म परिसर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारी विधान के अनुसार अधिनियम की धारा 49 (8 )एवं धारा 53 (1) के तहत यदि किन्हीं कारणवश बोर्ड का निर्वाचन समयावधि में नहीं किया जा सकता तो सहकारी बैंकों में अधिकतम 01 साल तक वहीं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में अधिकतम 06 माह के लिए रजिस्ट्रार को प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है। लेकिन राजनीतिक व्यक्तियों को बैंकों में प्राधिकृत अधिकारी बनाए 2 से 3 साल हो गए और सोसाइटीयों में 01 साल से ज्यादा हो गए । इस प्रकार नियमों का उल्लंघन करते हुए किसानों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। श्री द्विवेदी ने मांग की कि इनके द्वारा धड़ल्ले से जो भी निर्णय लिए जा रहे हैं, उसे शून्य घोषित करने की कार्रवाई की जाए। इस अवसर पर उपस्थित भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी एवं पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल एवं संयोजक श्री द्विवेदी ने बताया कि इन्हीं सब विषयों को लेकर सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रतिनिधिमंडल के साथ कल पंजीयक सहकारी संस्थाये एवं अपर संचालक कृषि विभाग से चर्चा की गई।
भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयाजक श्री द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराने की समय सीमा मात्र 0 5दिन (31जुलाई तक) निर्धारित की गई है, जो नाकाफी है। इस अवधि बढाया जाए। हम पूछना चाहते हैं कि राज्य सरकार द्वारा टेंडर जारी किए जाने में क्यों लेटलतीफी की गई? प्रतिनिधिमंडल ने पंजीयक का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा कि धान खरीदी के पश्चात मार्कफेड द्वारा धान मिलान किया जाता है और जीरो प्रतिशत शोर्टेज आने वाली सहकारी समितियों को प्रोत्साहन राशि तथा कमीशन की राशि दिए जाने का प्रावधान है किंतु आज धान खरीदी के छह माह बीतने के बाद भी न तो प्रोत्साहन राशि दी गई और न ही कमीशन की राशि दी गई। इससे सहकारी समितियां आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही हैं। यह राशि तत्काल सहकारी समितियों को दिलाई जाए। श्री द्विवेदी ने यह भी मांग की कि सोसायटीयों से किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरक लेने पर गुणवत्ताविहीन अमानक वर्मी कंपोस्ट की अनिवार्यता समाप्त की जाए क्योंकि वह वर्मी कंपोस्ट है ही नहीं बल्कि धूल माटी मिलाकर के बोरियों में भरा जा रहा है।
भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयाजक श्री द्विवेदी ने धान उपार्जन केंद्रों में हो रही गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए कहा कि विगत वर्षों में धान खरीदी केंद्रों में राइस मिलर्स द्वारा जो पुराने बारदानों की उपार्जन केन्द्रों में आपूर्ति की जाती थी, उस समय कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में मानक/अमानक बारदानों का प्रावधान रहने के कारण खराब बारदानों की छँटनी कर दी जाती थी। लेकिन विगत 2 वर्षों से उक्त प्रावधान विलोपित कर दिए जाने से घटिया स्तर के पुराने बारदानों की आपूर्ति राइस मिलर्स द्वारा की जा रही है जिससे सहकारी संस्थाओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उक्त प्रावधान को पुन: लागू किया जाए। श्री द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर के द्वारा यह बयान दिया गया कि धान खरीदी में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं रहती , जबकि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ सरकार के धान खरीदी के एवज में केंद्रीय पूल में चावल लेती है, जिसका मूल्य धान खरीदी के तमाम खर्चों, सोसाइटी का कमीशन, मंडी टैक्स, सूखत्त, बारदाना, परिवहन चार्ज, लेबर चार्ज आदि को जोड़कर चावल का मूल्य निर्धारित किया जाता है। मंत्री अकबर को भलीभाँति मालूम है कि जो चावल का मूल्य दिया जा रहा है, उसमें सोसाइटी के खर्चे जुड़े हुए हैं। यह भी उन्हें अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताना चाहिए था।
सहकारिता प्रकोष्ठ प्रदेश प्रभारी देवजी भाई पटेल, संयोजक शशिकांत द्विवेदी, सह संयोजक कुमार सिंह, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल इस दौरान मौजूद रहे।