रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि प्रदेश में स्कूली शिक्षा की बेहतरी के प्रदेश की कांग्रेस सरकार के फर्जी दावों का जमीनी सच यह है कि सोमवार से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत ही जर्जर भवन, सुविधाओं के अभाव, शिक्षकों की कमी और स्कूल तक पहुंचने की दिक्कतों के बीच हुई। प्रदेश में 30 हजार से अधिक स्कूल इस सरकार के कारण जर्जर हो गए है । पिछले साढ़े चार साल में उन्होंने स्कूल के मरम्मत व मेंटनेंस में कोई ध्यान नहीं दिया ।जिसका परिणाम अब सामने है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार गुणवत्तायुक्त शिक्षा के दावे करके डींगे तो हाँक रही है लेकिन प्रदेशभर में शिक्षा की बुनियादी जरूरतों और सुविधाओं के प्रति सरकार पूरी तरह उदासीन है।
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि राजधानी से लगे ताराशिव में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बावजूद हायर सेकेंडरी स्कूल नहीं खोलना प्रदेश सरकार के दावों की पोल तो खोल ही रहा है, साथ ही मुख्यमंत्री के उस दावे की धज्जियां भी उड़ा रहा है जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में की गई घोषणाओं से पूरा होने का दावा आँकड़ों के साथ किया था। ताराशिव में गत 23 जनवरी को भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में ही यह घोषणा की गई थी जिसका अब तक अता-पता नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि इसी तरह जांजगीर-चाँपा जिले में समग्र शिक्षा योजना के तहत स्कूलों की मरम्मत के लिए मार्च माह में राशि जारी होने के बावजूद जांजगीर-चांपा जिले की 23 और सक्ती जिले की 36 (कुल 59) स्कूलों की मरम्मत का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। दो दर्जन से ज्यादा स्कूलों की मरम्मत का काम अब तक अधूरा है। रायपुर में सैकड़ो स्कूल के मरम्मत के लिए राशि जारी की गई है, पर एक भी स्कूल का मरम्मत नहीं हो पाया है।
दुर्भाग्य जनक स्थिति तो यह है कि इसके लिए एजेंसी स्मार्ट सिटी को बनाया गया है ,जो अपना खुद का कार्य निगम से करवा रहा है । ऐसे ही हालात में सोमवार से शुरू नए शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों और शिक्षकों को होने वाली परेशानियों से प्रदेश सरकार बेफिक्र है।
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि शैक्षणिक सुविधाओं के नाम पर प्रदेश सरकार के मुँहजुबानी जमा-खर्च का आलम तो यह है कि बिलासपुर जिले में जिन जर्जर शाला भवनों की मरम्मत का काम चल रहा है, वहां विद्यार्थियों के बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है। तोड़फोड़ के चलते धूल उड़ेगी और उसके बीच बच्चे पढ़ाई करने को विवश होंगे। जिले की 907 स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है, वहीं 728 स्कूलों में बिजली कनेक्शन तो है लेकिन बिजली आपूर्ति बाधित है, 731 स्कूलों में बाउंड्री वाल नहीं है और वहाँ हमेशा नशेड़ियों का जमघट तथा मवेशियों का जमावड़ा रहता है। छात्राओं के टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति तो राजधानी के आनंद नगर में है। यहाँ नगर निगम ने मकानों के सामने 8 फीट गहरा और इतना ही चौड़ा नाला खोदकर छोड़ दिया है, इसके चलते रविवार को हुई बारिश से नाला मकान की तरफ धसकने लगा। 400 मीटर तक सड़क कीचड़ से लथपथ है। नाला धसकने से वहां के रहवासी चिंतित हैं और बुजुर्ग लगभग पखवाड़ेभर से घरों में कैद हैं! लेकिन अहम सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में इन घरों के बच्चे अभी स्कूल कैसे जाएंगे?