केंद्रीय रक्षा मंत्री ने यह स्वीकार किया कि चीन के साथ हमारे कुछ मतभेद…

जम्मू। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जम्मू में कार्यक्रम को संबोधित कर कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा था और हमेशा से रहेगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि जब पुलवामा हमला हुआ तब मैं उस वक्त गृह मंत्री था, मैंने अपने जवानों के ताबूत कंधे पर उठाए हैं। सिंह ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर का रट लगाता रहता है लेकिन उससे कोई फायदा नहीं होगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने यह स्वीकार किया कि चीन के साथ हमारे कुछ मतभेद हैं। जब हम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करते हैं, तब सबसे पहले बात सीमाओं की सुरक्षा आती है, क्योंकि यदि सीमाएं सुरक्षित नहीं होंगी तब राष्ट्र भी सुरक्षित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 75 सालों में जमीन और समुद्री सीमाएँ पर हमें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। मगर हमारी सेनाओं और सुरक्षा बलों ने, मिलकर, हर चुनौती का न केवल डटकर सामना किया है बल्कि उन पर विजय भी हासिल की है। उन्होंने कहा कि जब से भारत आजाद हुआ है, कई भारत विरोधी ताकतों की यह लगातार कोशिश रही है कि या तब सीमाओं पर, या फिर सीमाओं के रास्ते से भारत के भीतर अस्थिरता का माहौल बनाया जाए। पाकिस्तान की जमीन से इसके लिए बड़े पैमाने पर लगातार कोशिश की गई है। राजनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की और पहली बार देश ही नहीं दुनिया ने जाना की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के मतलब क्या होता है। आतंकवाद का पूरे का पूरा नेटवर्क यहां जम्मू और कश्मीर में दशकों से काम कर रहा था। आज उस नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर करके उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। वहां के लोग देख रहे है कि इस तरफ लोग अमन और चैन के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे है। वहां जब पाकिस्तान की सरकार द्वारा उन पर जुल्म किया जाता है, तब हमें तकलीफ होती है। उन्होंने कहा कि पीओके पर सिर्फ गैर कानूनी कब्जा कर लेने से पाकिस्तान की कोई सुने जाने का अधिकार नहीं बनती है। भारत की संसद में पीओके को लेकर एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित है कि वह भारत का ही हिस्सा है। इस मंशा के एक नहीं कम से कई प्रस्ताव संसद में अब पारित हो चुके है। रक्षा मंत्री ने कहा कि गलवान की उस घटना को तीन वर्ष बीत चुके है मगर जिस शौर्य, पराक्रम और साथ में संयम का परिचय भारतीय सेना ने दिया है वह देश कभी भूल नही सकता और आने वाली पीढ़ियां भी उन जांबाज सैनिकों पर गर्व करेंगी।

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