रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाक के नीचे उद्योग विभाग के एक अधिकारी अपनी मातहत महिला आधिकारी के साथ छेड़खानी करके राजनीतिक संरक्षण हासिल कर रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक स्थिति है। श्री ठाकुर ने कहा कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, आला अफसर, कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों, नेता-पदाधिकारियों और उनके परिजनों परिचितों द्वारा महिलाओं के साथ बदसलूकी, छेड़खानी, दुष्कर्म, मारपीट जैसी वारदातों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। महिला उत्पीड़न की ये वारदातें प्रदेश सरकार के महिला विरोधी चरित्र को बेनकाब कर रही हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री ठाकुर ने कहा कि घरेलू से लेकर कामकाजी, अधिकारी से लेकर आम महिलाएं और मासूम बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाएँ तक प्रदेश के किसी भी इलाके में सुरक्षित नहीं है। कार्यस्थल पर प्रताड़ना, राजनीतिक क्षेत्र में बाहुबलियों की गुंडागर्दी, यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म जैसे मामलों में इजाफा होना प्रदेश सरकार के उन दावों की धज्जियाँ उड़ाने के लिए पर्याप्त है, जिनमें प्रदेश की कांग्रेस सरकार महिला सुरक्षा और विकास के समान अवसरों की डींगें हाँककर रायता फैलाती रहती है। श्री ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के हर इलाके में महिलाओं का आत्मसम्मान इतना लहूलुहान हो रहा है कि अब वे या तो पलायन के लिए मजबूर हो रही हैं या फिर आत्महत्या करने की मन:स्थिति में आने को विवश हो रही हैं। ऐसे भयंकर हालात में भी प्रदेश सरकार बेहतर शासन के दावे करने में जरा भी लज्जा अनुभव नहीं कर रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री ठाकुर ने कहा कि महिलाओं, युवतियों और किशोरियों के साथ हो रहे छेड़खानी, यौन उत्पीड़न के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होना इस बात का प्रमाण है कि अपराधियों व आरोपियों को प्रदेश सरकार और उसके जनप्रतिनिधियों का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। श्री ठाकुर ने कहा कि राजधानी में उद्योग विभाग की महिला अधिकारी ने अपने अधिकारी पर शराब के नशे में छेड़खानी की एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन एक माह से उस आरोपी अधिकारी के खिलाफ केवल इसलिए कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि कांग्रेस के एक विधायक के कहने पर उद्योग मंत्री ने उक्त आरोपित अधिकारी की फाइल अपने पास रोक रखी है। हताश-निराश पीड़िता महिला अधिकारी अब आत्महत्या कर लेने की बात कहने के लिए विवश हो गई है। श्री ठाकुर ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार व उत्पीड़न की अब हदें पार हो गई हैं और शासन-प्रशासन की संवेदनाएँ मर चुकी है। ऐसी सरकार को तो, जो मातृशक्ति के आत्मसम्मान की रक्षा तक नहीं कर सकती, एक पल भी सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है।