0 धर्मांतरण और सांप्रदायिकता आरएसएस और भाजपा के लिए केवल राजनीतिक एजेंडा है
रायपुर। धर्मांतरण को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर कड़ा प्रतिवाद करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है मुद्दाविहीन भाजपाई केवल राजनीतिक लाभ के लिए नफ़रत और उन्माद फैलाना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की बाते भाजपाईयो का दिमागी फितुर और राजनैतिक साजिश है। भाजपा की केंद्र में सरकार है और गिरिराज उसमें मंत्री हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 28 नवंबर 2022 को जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने का निर्देश दिया था लेकीन उस पर अब तक मोदी सरकार मौन हैं। दरअसल भाजपाइयों की नियत में खोट है। भारतीय जनता पार्टी के नेता धर्मांतरण को लेकर देशभर में अफवाह फैलाने और राजनीतिक रोटी सेकने का काम करते हैं। छत्तीसगढ़ में तो अभी भाजित मध्यप्रदेश के समय से ही 1968 से ही जबरिया धर्मांतरण के खिलाफ धर्म स्वतंत्र स्वतंत्रता अधिनियम लागू है। वर्ष 2000 में पृथक राज्य के रूप में विभाजित होने पर छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण विरोधी कानून को अपनाया। 2006 में छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्र संशोधन विधेयक को पुनः संशोधित किया गया है। छत्तीसगढ़ में कानून तो पहले से विद्यमान है। जबरिया धर्मांतरण को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सबसे बड़ी समस्या बताया है और केंद्र सरकार को जबरिया धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानून बनाने निर्देशित किया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी धर्मांतरण और सांप्रदायिकता पर केवल राजनीति करना चाहती है वह नहीं चाहती कि समस्या का कोई ठोस निदान हो। यदि गिरिराज जी गंभीर है तो कोरी बयानबाजी के बजाय इस विषय में केंद्रीय कानून बनाने पहल करें।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह भी ऐतिहासिक तथ्य है कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक धर्मांतरण रमन राज में हुए। सर्वाधिक चर्च का निर्माण भी रमन सरकार के दौरान हुआ। रमन सरकार के दौरान भाजपा के नेता मंत्री लगातार प्रार्थना सभा और चंगाई सभा के आयोजनों में शामिल होते रहे। भूपेश सरकार के दौरान विगत साढ़े 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ में जबरिया धर्मांतरण का एक भी आरोप साबित नहीं हुआ है। बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पूरी तरह से नकारे जाने के बाद भाजपाई कभी फर्जी धर्मांतरण तो कभी डीलिस्टिंग को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, एक भी आरोप प्रमाणित नहीं है। भाजपाई धर्मांतरण को लेकर ईसाई समुदाय पर आरोप लगाते हैं और इन्हीं के नेता क्रिसमस पर भोज आयोजित करते हैं। धर्मांतरण और सांप्रदायिकता आर एस एस और भाजपा का ऐसा राजनीतिक एजेंडा है जो समय-समय पर जरूरतों के अनुसार बदलता रहता है यही इनका राजनीतिक पाखंड है।