0 यूपीए के तुलना में खेती का लागत मूल्य तीन गुना बढ़ गया डीजल, बिजली, उर्वरक सभी के दाम में बढ़ोत्तरी
रायपुर। मोदी सरकार के द्वारा धान के समर्थन मूल्य में की गयी बढ़ोत्तरी ऊंट के मुंह में जीरा है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार आदतन किसान विरोधी है। मोदी ने 2014 के चुनाव के पहले वायदा किया था 2022 तक किसानों की आय दुगुनी की जायेगी तथा कृषि उपज के लागत मूल्य का ज्यादा समर्थन मूल्य घोषित किया जायेगा लेकिन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशो को मानने का भरोसा दिलाने वाले मोदी ने हर साल किसानों से धोखा किया। मोदी और भाजपा किसान से दो बड़े वादे कर सत्ता में आए। पहला वादा था, किसान के समर्थन मूल्य की लागत+50 प्रतिशत मुनाफा पर निर्धारित करना। दूसरा वादा था कि इस मूल्य निर्धारण के फॉमूले से साल 2022 तक देश के 62 करोड़ किसान की आय दोगुनी हो जाना। दोनों बातें सफेद झूठ साबित हुई है। किसान साल दर साल ठगे जाते रहे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ मोदी सरकार लगातार धोखेबाजी कर रही है। यूपीए सरकार के 10 सालों में धान के समर्थन मूल्य में 142.85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गयी थी। जब मनमोहन सरकार बनी तब धान का समर्थन मूल्य 560 रू. था, मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार में धान का समर्थन मूल्य बढ़कर 1360 रू. हो गया था। मोदी सरकार के 10वें साल में धान का मूल्य अब जाकर 2183 रू.घोषित हुआ है जो यूपीए सरकार में मिलने वाली कीमत में मात्र 60.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जब यूपीए सरकार थी तब और मोदी सरकार की तुलना में खेती की लागत में बढ़ोत्तरी हुई है। यूपीए सरकार के समय डीजल 55.48 रू. लीटर था मोदी राज में लगभग दुगुना 98.50 रू. लीटर हो गया है। 2014 में बिजली का मूल्य 9.85 रू. प्रति यूनिट था आज खेती के बिजली के दाम 5.05 रू. है इसी प्रकार यूपीए सरकार के समय पोटाश 800 रू. था अब उसकी कीमत 1700 रू. है। एनपीके 1053 रू. था अब उसकी कीमत 1470 रू. हो गयी है। डीएपी 1100 रू. मूल्य था वह अब 1350 रू. हो गया। जो ट्रैक्टर 2014 में 3.80 लाख रू. में आता था वह आज उसकी कीमत 8.70 लाख रू. हो गयी है। मोदी राज में यूपीए की तुलना डीजल, बिजली, उर्वरक रासायनिक कीटनाशक सभी दुगुने से अधिक हो गये लेकिन समर्थन मूल्य में मात्र 60 प्रतिशत ही बढ़ोत्तरी किया गया।