बस्तर की आधी सीटों पर दीपक की रौशनी से कांग्रेस जगमग…

जगदलपुर,(अर्जुन झा)। बस्तर सांसद दीपक बैज को संगठन ने जिन छह विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है, उन पर दीपक की रौशनी से कांग्रेस जगमग है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा परफार्मेंस के आधार पर टिकट मिलने और कटने की मुनादी कर दिए जाने के बाद बस्तर में कांग्रेस के गलियारों से लेकर भाजपा के कैंप तक और आम जनता के बीच भी चर्चा चल पड़ी है कि कितने विधायकों की टिकट कटने वाली है, ये विधायक कौन हैं, टिकट कटने का पैमाना विधायकों का प्रदर्शन है तो विधायकों को टिकट मिलने का पैमाना बेहतर प्रदर्शन है लेकिन जिनकी टिकट कटेगी, उनकी जगह नए चेहरे के लिए क्या पैमाने होंगे? जाहिर है कि संगठन में सक्रियता के साथ साथ जनता के बीच लोकप्रियता ही यह पैमाना हो सकता है। यहां खास बात यह है कि दीपक बैज के संसदीय क्षेत्र में डबल इंजन वाली स्थिति है। दीपक बैज गार्ड की भूमिका में हैं। डबल इंजन ऐसे कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेन इंजन हैं और विधायक सपोर्टिंग इंजन की तरह लगे हुए हैं। सांसद दीपक बैज इनके बीच समन्वय स्थापित करने का काम पूरी कर्मठता से कर रहे हैं।
बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दंतेवाड़ा सीट छोड़कर शेष सभी सीटें जीती थीं। उपचुनाव में दंतेवाड़ा सीट भी हासिल कर विधानसभा में बस्तर को भाजपा मुक्त कर दिया। अब इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव को 6 माह और तैयारी के लिए 4 माह बाकी हैं तो सियासी उलटफेर के आसार तलाशे जा रहे हैं। टिकटों में उलटफेर करके कांग्रेस बस्तर में अपनी मजबूती बरकरार रखना चाहती है। ऐसे में सवाल यह है कि किस किस विधायक की टिकट कटेगी, किस विधायक की परफॉरमेंस कैसी है। क्या अब इस मामले में पार्टी के सांसद दीपक बैज की भी राय ली जाएगी? मुख्यमंत्री के बयान से साफ दिख रहा है कि बस्तर में कई विधायक बेटिकट होंगे। बस्तर में चल रही चर्चाओं के अनुसार 5 से 6 वर्तमान विधायकों की टिकट कट सकती है। इनमें कांकेर लोकसभा क्षेत्र के बस्तरिया विधायक ज्यादा हो सकते हैं। कांग्रेस ने अभी हाल ही कांकेर संसदीय क्षेत्र की भानुप्रतापपुर सीट उपचुनाव में बचाई है। सावित्री मनोज मंडावी जिस तरह 20 हजार से अधिक मतों से जीती हैं और उन्हें परफार्मेंस दिखाने के लिए समय भी नहीं मिला है, उनके परफार्मेंस के आकलन का क्या आधार हो सकता है? केशकाल विधायक संतराम नेताम अभी अभी उत्कृष्ट विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष चुने गए हैं। जाहिर है कि बेहतर परफार्मेंस के आधार पर ही उन्हें यह अवसर मिला है। बस्तर के कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उनकी सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल, जगदलपुर विधायक रेखचन्द जैन, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा, कोंटा विधायक कवासी लखमा, बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी में से किस किस का परफार्मेंस बेहतर नहीं है, यह तय करना आसान नहीं है। सभी अपने स्तर पर सक्रिय हैं। कोंटा विधायक कवासी लखमा बस्तर के प्रभारी और प्रदेश के उद्योग व आबकारी मंत्री हैं तो रेखचन्द जैन संसदीय सचिव हैं। लखेश्वर बघेल बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं। चंदन कश्यप और राजमन बेंजाम सांसद दीपक बैज के साथ अपने अपने इलाके में सक्रिय हैं। वैसे तो बस्तर सांसद दीपक बैज संसदीय क्षेत्र के सभी विधायकों को लोक कल्याण के कार्यों के लिए प्रेरित करते हैं और विधायक भी सक्रिय हैं लेकिन तब भी भेंट मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को बहुत कुछ परखने का मौका मिला है। उन्हें मैदानी स्थिति की जानकारी मिली है। इसके आधार पर टिकटों को ठोक बजाकर ही दिया जायेगा। भाजपा की नजर इस पर है कि कहां परिवर्तन हो सकता है, इसका अंदाजा लगाया जाए और उसी तरह रणनीति तैयार की जाए। भाजपा की उम्मीद कांग्रेस के प्रत्याशी चयन पर निर्भर है। सबसे ज्यादा चर्चा बस्तर की इकलौती सामान्य सीट जगदलपुर की है तो यहां रेखचंद जैन ने शहर के साथ साथ गांव गांव प्रभाव बनाया है। उनके समर्थकों का मानना है कि वे हर कसौटी पर खरे उतर रहे हैं।

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