0 भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यसमिति संपन्न
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर संवेदनहीन है। कोरोना काल में केन्द्र सरकार से अनुमति के लिए पत्र कहां भेजा जाए और आर्थिक सहायता के लिए कहां भेजा जाए यहां तक की इस सरकार के अधिकारियों एवं मंत्रियों तक को पता नहीं। गलत जगह पर पत्र लिखकर केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़ने का काम ही यह सरकार साढ़े चार वर्षो तक करती रही एवं स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए कोई गंभीर प्रयास छत्तीसगढ़ की सरकार ने नहीं की उनकी रूचि उन्हीं कामों में रही जहां अच्छे खासे कमीशन की गुंजाइस रहती हो कोयला, शराब, रेत, गोठान, ट्रांसफर आदि के घोटालों की लंबी श्रृंखला है। सरकारी खजाने की 50 प्रतिशत राशि को डाका डाला जा रहा था। ऐसे में ईडी की कार्यवाही से भूपेश बघेल का बौखलाना स्पष्ट करता है कि भ्रष्टाचार सरकार की रंग-रंग में बसा है।
प्रदेश कार्यसमिति के उद्घाटन सत्र का शुभारभ दीप प्रज्वलित कर प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय ने किया स्वागत पश्चात अपने उद्बोधन में पवन साय ने कहा कि केन्द्र मे मोदी जी के नेतृत्व में सरकार के 9 साल पूरे हुए हैं। इन 9 सालों की उपलब्धि को जनता तक पहुंचाने में चिकित्सा प्रकोष्ठ को अपना सार्थक योगदान देना है। कोविड काल में निष्क्रिय राज्य सरकार की तुलना में केन्द्र की मोदी सरकार ने वैक्शिन, अनाज, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता का कार्य किया । भारतीय जनता पार्टी के विचारों के अनुकुल धारा 370 हटाकर एवं राम मंदिर का निर्माण कर कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करने का काम मोदी जी ने किया।
चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. विमल चोपड़ा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के 36 के आकड़े ने स्वास्थ्य सेवाओं का कबाड़ कर दिया है। कोविड काल के दौरान भरतीय जनता पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ एवं हेल्थ वालेंटियर्स ने सेवाओं के नये आयाम स्थापित किये जिसकी छाप आज भी सेवा प्राप्त पीड़ितों के दिल में आज भी है। सात मेडिकल कॉलेज की केन्द्र की सौगात को आज भी राज्य की सरकार संभाल ही नहीं पायी है। डॉ. चोपड़ा ने कहा कि कार्य के माध्यम से हमें कार्यकर्ताओं को जोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करना है।
डॉ. चोपड़ा ने ग्रामीण चिकित्सकों के संबंध में सदस्यों की ओर से आयी इस मांग का समर्थन किया कि ग्रामीण चिकित्सक जो बिना डिग्री के वर्षों से ईलाज कर रहे हैं, उनको प्रशिक्षण देकर सम्मान पूर्वक प्रैक्टिस करने दिया जाए। हालांकि चुनाव के पूर्व यह वादा कांग्रेस के नेताओं ने किया था जिसे उन्होंने पूरा न करके धोखा किया, वहीं नर्सिंग होम एक्ट से क्लिनिक एवं छोटे नर्सिंग होम को मुक्त किया जाए। ये वादे यदि पूरे नहीं होते हैं तो भारतीय जनता पार्टी इसको पूर्ण करेगी।
चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी लोकेश कावड़िया ने संबोधित करते हुए कहा कि चिकित्सा प्रकोष्ठ के संगठन को मजबूत किया जाए, क्योंकि एक-एक चिकित्सक 100 से 200 वोटों को प्रभावित कर सकता है। अतः प्रदेश के चिकित्सकों का एक विशाल सम्मेलन रखा जाए। प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए श्री कावडिया ने कहा कि इस निकम्मी सरकार को गिराना आवश्यक है अन्यथा छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ सारी सेवाएं घरातल में चली जाएगी।
कार्यक्रम में राजनैतिक प्रस्ताव पारित किया गया प्रस्ताव का पाठन डॉ. राकेश शर्मा (कोरिया) ने किया एवं समर्थन डॉ. दिग्विजय सिंह (बिलासपुर) व डॉ. हरिकृष्ण गंजीर ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ. अशोक त्रिपाठी, डॉ. सतविंदर छाबड़ा ने किया व आभार प्रदर्शन डॉ. शैलेष खण्डेलवाल ने किया।
राजनीतिक प्रस्ताव
प्रदेश में मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के द्वंद्व ने स्वास्थ्य सेवाओं को वेंटीलेटर पर पहुंचा दिया है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली से आमजन त्रस्त है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में एक रात के आई. सी. यू. में अनेक बच्चों की हुए मौत से प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से लोगों का विश्वास उठ रहा है। कोरोना काल की बदहाली के बाद अर्थव्यवस्था से सामान्य स्थिति में जाने की उम्मीद थी, परंतु आयुष्मान भारत खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना को ट्रस्ट मोड को चलाने के बाद अब अस्पताल के भुगतान में हो रहे विलंब का प्रभाव मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है, और अनुबंधित अस्पतालों से इलाज में मनाही हो रही है। इसके साथ साथ अनेक आवश्यक बिमारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना से सरकार ने हटा दिया जिसके कारण गरीब जनता को बेहद परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है। नर्सिंग होम एक्ट में सुधार की बात कह कर सत्ता में आने वाली सरकार ने इसमें किसी प्रकार की राहत न देकर वादाखिलाफी की है।
पर्यावरण एवं अग्निशमन की एनओसी के नाम पर प्रदेश में माफिया कार्य कर रहा है। जिसके कारण 30, 40 बिस्तर के छोटे अस्पतालों के संचालन में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए कांग्रेस नेताओं ने प्रयास भी चार में सालों में नक्कार खाने में तूती की तरह ही रहे है।
कोरोना काल में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाए केन्द्र सरकार के भरोसे संचालित रही। कोविड वैक्सिन के दो डोज के बाद राज्य सरकार द्वारा बूस्टर डोज को अपने खर्चे से देने के असमर्थता पर केन्द्र की मोदी सरकार ने उसका भी भार वहन किया जबकी प्रथम डोज के समय टीके का पूर्ण खर्च वहन करने की डींगे हाकने वाले मुख्यमंत्री ने तीनों वैक्सीन की डोज के लिए केन्द्र सरकार को फूटी कैड़ी तक नही दी बल्कि, राज्य की जनता के लिए मोदी सरकार द्वारा भेजी गयी वैक्सिन को एक्सपायरी डेट कराकर कूड़े में फेंकने का काम किया जिसकी जितनी निंदा की जाय कम है।
केन्द्र सरकार द्वारा आक्सीजन प्लाण्ट के लिए भेजी गयी राशि का अनेक स्थानों पर अब तक उपयोग न होना सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीरता को दर्शाता है। प्रदेश को केन्द्र द्वारा दिए गए तीन मेडिकल कॉलेज के बाद चार और नये मेडिकल कॉलेज की अनुमति केन्द्र की छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सक्रियता को दर्शाता है। छत्तीसगढ़ सरकार पूर्व के तीन मेडिकल कॉलेज के लिए भेजी गयी अरबो की राशि का उपयोग पिछले दो वर्षों में नही कर पायी जिसके कारण आज भी इन मेडिकल कालेजो में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है, इसके साथ चार और नये मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति के बाद प्रगति लगभग शून्य है।
बस्तर के कई इलाके शासन की कुनीतियों के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में अव्यवस्थाओं का शिकार है। विगत दिनों नारायणपुर के ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों को सलाइन चढ़ाने का काम पेड़ो के नीचे दरी लगाकर करना भूपेश सरकार की संवेदनहीनता की सीमाओ को लांघने वाला है। जबकी निकट के स्वास्थ्य सेंटरों में एम्बुलेंस से लाकर इनका इलाज किया जा सकता था। सूपेबेड़ा जैसे आदिवासी इलाको में स्वास्थ्य सेवाओ को लेकर किया गया चुनाव पूर्व वादा आज तक असत्य साबित हो रहा है। ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षण के पश्चात गाँवो में मेडिकल प्रैक्टिस की छूट आश्वासन के साथ सत्ता में आयी कांग्रेस की सरकार ने अपना आश्वासन पूर्ण करने की बजाय अब छापामार कार्यवाही कर उन्हे परेशान कर रही है।
केन्द्र की सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश के अन्य राज्यों की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर किये जा रहे सहयोग के लिए यह कार्यसमिति आभार प्रदर्शन करती है। जिला अस्पतालो में इस डायलिसिस सुविधा नियोनेटल आई.सी.यू. की व्यवस्था शारीरीक रूप से कमजोर नवजात बच्चो का इलाज सहित अनेक व्यवस्थाओं का ध्यान केन्द्र सरकार ने रखा है। जिससे आज छत्तीसगढ़ की जनता लाभान्वित है।