इस बार साव के सहारे छग भाजपा में होगा अरुणोदय…

0 कांग्रेस के खिलाफ भाजपा ने बनाई बड़ी और कारगर रणनीति

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में तेजी से अस्ताचल की ओर अग्रसर हो रही भाजपा आसन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के भरोसे अपने अरुणोदय का सपना संजोए बैठी है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजों से छत्तीसगढ़ में ऐसी झलक दिखाई देने लगी है।
अरुण साव पिछड़ा वर्ग से हैं और छत्तीसगढ़ में पिछड़े वर्गों के मतदाता हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। इस लिहाज से श्री साव को खेवनहार बनाकर भाजपा राज्य की वैतरणी पार करना चाहती है। 6 पंडित दीनदयाल मार्ग नई दिल्ली स्थित केंद्रीय भाजपा कार्यालय से छत्तीसगढ़ के सभी बड़े पार्टी नेताओं को स्पष्ट निर्देश जारी हुआ है कि अब भविष्य में आयोजित होने वाले पार्टी के समस्त कार्यक्रमों का चेहरा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ही होंगे। अभी तक भाजपा में जितने भी प्रदेश अध्यक्ष हुए, वे सब बौने ही साबित हुए हैं। हमेशा, हर कार्यक्रम और हर बैठक में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ही चेहरा हुआ करते थे। पहली बार ऐसा नजर आ रहा है, जब सीधे केंद्रीय संगठन ने हस्तक्षेप करते हुए छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश संगठन को स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि अब संगठन के सभी कार्यक्रमों का चेहरा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ही होंगे। 2018 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावों में भाजपा ने बड़ी संख्या में साहू समाज के लोगों को मैदान में उतारा था, लेकिन मात्र एक साहू प्रत्याशी को जीत हासिल हुई। धमतरी विधानसभा क्षेत्र से रंजना साहू भाजपा टिकट पर विधायक चुनकर आई हैं। चूंकि महानदी, खारून, इंद्रावती, शिवनाथ आदि नदियों से काफी पानी बह चुका है, सियासी बयार उल्टी दिशा में बहने लगी है। हालात बदल चुके हैं, परिस्थितियां बदल चुकी हैं। इन बदले हुए हालातों में हवा की दिशा के संग आगे बढ़ने में ही भाजपा अपनी भलाई समझ रही है। यही वजह है कि इस बार पार्टी छत्तीसगढ़ में पिछड़ा कार्ड खेलने की तैयारी में है।

साय के पाला बदलने की भरपाई
छत्तीसगढ़ में भाजपा की जड़ें मजबूत करने वाले नेताओं में शुमार रहे वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय के हाल ही में पाला बदल लेने के बाद भाजपा अब हर कदम फूंक फूंककर रख रही है। अरुण साव को आगे करने के पीछे भी भाजपा की यही रणनीति है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा पिछड़े वर्ग के नेता अरुण साव के जरिए नंदकुमार साय के पाला बदल लेने की भरपाई करने वाली है। वैसे यह बात भी सौ फीसदी सच है कि नंदकुमार साय को पार्टी ने बहुत कुछ दिया था। उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। हाल के कुछ वर्षों के दरम्यान श्री साय को एक तरह से लूप लाइन में डाल दिया गया था और वे खुद को पार्टी में उपेक्षित महसूस करने लगे थे। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में श्री साय को शायद अपने लिए कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही थी, इसीलिए उन्होंने पाला बदलकर कांग्रेस का दामन थाम लेने में अपनी भलाई समझी होगी?

पिछड़े की काट पिछड़ा

इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस अगला विधानसभा चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे पर ही लड़ेगी। भूपेश बघेल पिछड़े वर्ग के कुर्मी समाज से आते हैं। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव भी पिछड़े वर्ग के साहू समाज से आते हैं। कुर्मी समाज के भाजपा नेता रमेश बैस को राजयपाल बना दिया गया है। भूपेश बघेल की कोई काट भाजपा के पास नहीं बची थी, लिहाजा बिलासपुर सांसद रहते हुए भी राज्य स्तरीय राजनीति में अपेक्षाकृत गुमनाम नेता अरुण साव को अचानक भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजनैतिक पंडितों को भी अचंभे में डाल दिया। अब यही अरुण साव कांग्रेस के भूपेश बघेल के खिलाफ भाजपा के ब्रम्हास्त्र बनने वाले हैं। अब यह तो अगले साल के विधानसभा चुनावों में ही पता चलेगा कि भाजपा का यह ब्रम्हास्त्र कितना कारगर साबित होगा ?

स्व. ताराचंद साहू के बाद पहले बड़े नेता हैं साव

स्व. ताराचंद साहू के बाद भाजपा में पिछड़े वर्ग का कोई दमदार नेता नहीं था। स्व. ताराचंद साहू दुर्ग से चार बार सांसद चुने गए थे और भाजपा ने उन्हें एक बार प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था, मगर श्री साहू को गृह जिले में ही पार्टी की गुटीय राजनीति का शिकार होना पड़ा। उन्हें नीचा दिखाने और अपमानित करने का कोई मौका भाजपा में उनके विरोधी नेताओं ने हाथ से नहीं जाने दिया। इससे तंग आकर ताराचंद साहू ने छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच का गठन कर भाजपा से इतर राजनीति शुरू कर दी थी। छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के स्वाभिमान के लिए खड़े किए गए इस संगठन का पूरे छत्तीसगढ़ में तेजी से विस्तार हुआ। ताराचंद साहू के निधन के बाद छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच की बागडोर उनके पुत्र दीपक साहू के हाथों में आ गई। दीपक ताराचंद साहू ने अपने पिता की विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी, मगर पारिवारिक जिम्मेदारियों और दूसरी वजहों के चलते दीपक साहू लंबे समय तक मंच की बागडोर नहीं सम्हाल पाए। अंततः भाजपा शासनकाल में दीपक ताराचंद साहू को छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने स्व. ताराचंद साहू के साथ छिटक चले भाजपा नेताओं, कार्यकर्त्ताओं और मतदाताओं को साधने का प्रयास जरूर किया। अब अरुण साव के जरिए भी भाजपा ऐसा ही जतन करती नजर आ रही है।

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