सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप राजभवन आरक्षण संशोधन विधेयक पर शीघ्र निर्णय ले – कांग्रेस

0 आम आदमी का संवैधानिक अधिकार कब तक राजभवन में लंबित रहेगा

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह निर्देश देने के बाद कि किसी भी विधेयक पर राजभवन शीघ्र निर्णय ले अनावश्यक विलंब न करें। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राजभवन भी आरक्षण संशोधन विधेयक पर शीघ्र निर्णय लें। आरक्षण संबंधी विधेयक पर झारखंड में राजभवन ने विधेयक को वहां की सरकार के पास वापस भेज दिया है, कर्नाटका में आरक्षण बढ़ाने संबंधी विधेयक पर राज्यपाल ने पहले ही हस्ताक्षर कर दिया था। छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर अनिर्णय की स्थिती बनी हुई है। आम आदमी का संवैधानिक अधिकार कब तक राजभवन में लंबित रहेगा। आरक्षण मसले पर राजभवन यह बतायें कि राज्य की विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किये गये आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर क्यों नहीं हो रहा है? छत्तीसगढ़ के सर्वसमाज के हितों को लेकर बनाया गया विधेयक राजभवन की हठधर्मिता से कब तक लंबित रहेगा। राजभवन उच्च न्यायालय के द्वारा नोटिस पर अपने संवैधानिक अधिकारों की बात तो कर रहा है लेकिन उसे राज्य के युवाओं को बेरोजगारों को संवैधानिक अधिकार देने पर राजभवन अडंगा क्यों लगा रहा है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आरक्षण मामले पर भाजपा और राजभवन के सुर एक क्यों हो जाते है? आखिर आदिवासी समाज, अनुसूचित जाति तथा ओबीसी समाज के लोगों की संवैधानिक अधिकार देने पर भाजपा का षड़यंत्र राजभवन में फलीभूत क्यों हो जाता है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा और संघ के राष्ट्रीय नेता तथा राज्य के नेता एक राय होकर सर्व समाज के आरक्षण को राजभवन में रोकवा कर रखे हुये है। आरक्षण बढ़ाने संबंधी विधेयक जब कर्नाटक विधानसभा में पारित होता है तब वहां पर राज्यपाल हस्ताक्षर करते है जब वैसा ही आरक्षण विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा और झारखंड विधानसभा में पारित किया जाता है तो राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं किये तो वापस कर दिया गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि भाजपा आरक्षण विधेयक पर अपना मत स्पष्ट करें वह आरक्षण संशोधन विधेयक के किस पहलू से असहमत और क्यों राजभवन में आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने दे रही है? भाजपा को आदिवासी समाज को दिये गये 32 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति है अथवा वह अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये किये गये 27 प्रतिशत आरक्षण से असहमत है? भाजपा को इस बात का विरोध है कि नये आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति के लिये किये गये 13 प्रतिशत आरक्षण के लिये विरोध कर रही है? या गरीब सवर्णों के 4 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में भाजपा है। भाजपा की नीयत आरक्षण पर शुरू से संदिग्ध है।

 

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