रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा शासन काल में लागू अनुसूचित जनजाति के 32 प्रतिशत आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा लगवाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है। अब मुख्यमंत्री को भी यह समझ लेना चाहिए कि वह संविधान से ऊपर नहीं हैं।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि भाजपा शासनकाल में अनुसूचित जनजाति को 32 फ़ीसदी आरक्षण दिया गया जो भाजपा की सरकार रहते हुए सुरक्षित रहा। लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद अनुसूचित जनजाति का हक छीनने के लिए कांग्रेसी हाई कोर्ट चले गए। अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध हाई कोर्ट जाने वालों को भूपेश बघेल की सरकार ने उपकृत किया। यह सरकार नहीं चाहती कि अनुसूचित जनजाति को उनका अधिकार मिले। इसलिए अपने लोगों को हाई कोर्ट भेजा और 32 फ़ीसदी आरक्षण को बचाए रखने के लिए सरकार की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। ताकि अनुसूचित जनजाति का हक छीना जा सके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी अनुसूचित जनजाति के हक की बहाली के लिए कांग्रेस की सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई। वह सिर्फ तारीखें बढ़वाने में समय बर्बाद करती रही। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर भाजपा सरकार द्वारा लागू आरक्षण नीति को बहाल किया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत और अनुसूचित जनजाति के संघर्ष की जीत है।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री आरक्षण के नाम पर केवल राजनीतिक पैंतरेबाजी दिखा रहे हैं। यदि वह छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों को उचित आरक्षण दिलाने की मंशा रखते तो फिर क्वान्टिफायबल डाटा आयोग की रपट क्यों दबा कर रखी गई है। यह रिपोर्ट न तो सदन में रखी गई और न ही राज्यपाल को भेजी गई। जबकि आरक्षण विधेयक का आधार ही इसी डाटा आयोग की रपट को बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस आरक्षण के नाम पर केवल भ्रम फैलाने का काम कर रही है।