जन सरोकार के विषय पर कब बात होगी मोदी जी? मित्र-काल कब तक चलेगा – सुरेंद्र वर्मा

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार के वादों की तरह ही “मन की बात“ के दावे भी झूठे हैं। बलपूर्वक प्रसारित इस एकतरफा संवाद के प्रायोजित इवेंट के अधिकांश उत्तरदाता भी इसे सुनना पसंद नहीं करते। बहुसंख्यक आबादी में मन की बात के संदर्भ में आम धारणा बन चुकी है कि जन सरोकार की बात करने के बजाए कोरी लफ्फाजी करके देश के असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का कुत्सित प्रयास किया जाने लगा है। देश की अर्थव्यवस्था उल्टे पांव भाग रही है। भुखमरी, बेरोजगारी, महंगाई और असमानता तेजी से बढ़ रही है। केंद्र के आंकड़ों में ही देश में गरीबों की संख्या बढ़कर 81 करोड़ पार हो चुकी है। मोदी राज में देश पर कुल कर्ज का भार 2014 की तुलना में 3 गुना बढ़ गया है। देश का खजाना, देश के संसाधन, सरकारी और सार्वजनिक कंपनियां, बैंक, बीमा, रेल्वे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, नवरत्न, कंपनियां केवल चंद पूंजीपति मित्रों पर लुटाए जा रहे हैं। एनपीए लगातार बढ़ रहा है, सत्ता के संरक्षण में बैंक फ्रॉड की घटनाएं लगातार हो रही है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस में मोदी सरकार की मुनाफाखोरी के चलते हैं आग लगी हुई है, लेकिन मोदी जी एक बेटी की मौत पर चुटकुला सुना रहे हैं। मोदी जी आत्महत्या त्रासदी है या मजाक? विगत 9 वर्षों से मोदी राज़ में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोग आत्महत्या करने मजबूर हैं, विगत 9 वर्षों में लगभग 15 लाख़, जिसमें बड़ी संख्या युवाओं की है। देश के प्रधानमंत्री साहस जुटाए और जन सरोकार पर बात करें और यह बताएं किः –

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा था, किए उल्टा, कृषि लागत 3 गुना कर दी है। एमएसपी पर कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने पर कब बात करेंगे मोदी जी?

दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा था 2014 में, किए उल्टा करोड़ों लोगों की लगी लगाई नौकरी खा गए। बहुसंख्यक युवा हताश और निराश होकर नौकरी की तलाश ही बंद कर दिए। रोजगार पर कब बात होगी मोदी जी?

छत्तीसगढ़ से गुजरने वाले सैकड़ों ट्रेनें हर माह निरस्त किए जा रहे हैं, आखिर किस बात का बदला ले रहे हो मोदी जी? रेलवे में बुजुर्गों और छात्रों को मिलने वाली सब्सिडी क्यों छीन लिए?

पुलवामा हमले पर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खुलासे पर कब बात करेंगे मोदी जी? पुलवामा के शहीदों को न्याय कब मिलेगा?
दैनिक उपभोग की वस्तुएं दूध, दही, पनीर, अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी-भाजी, दवा, अस्पताल और कफ़न तक पर जीएसटी, लेकिन अडानी को दिए पोर्ट पर जीएसटी से राहत क्यों?

क्रूड आयल 2014 की तुलना में लगभग आधे दाम पर है लेकिन डीजल, पेट्रोल 100 के पार? जनता की जेब पर 23 लाख करोड़ की डकैती पर कब बात करेंगे? डीजल पर 10 गुना सेंट्रल एक्साइज बढ़ाए, गैस सिलेंडर तीन गुना करके सब्सिडी क्यों खा गए?

देश को पदक दिलाने वाली पहलवान बेटियां wfi के अध्यक्ष पर एफआईआर की मांग को लेकर धरने में बैठी है लेकिन 38 गंभीर मामलों सहित यौन शोषण के आरोपी के संरक्षण में खड़े रहना क्या मजबूरी है?

“मित्र-काल“ में मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स का मुख्य केंद्र बन गया है, लेकिन कार्यवाही के बजाय वहां से सरकारी सुरक्षा भी हटा लेनें का कारण क्या है मोदी जी?

सारे दागी, सारे भ्रष्टाचारी भाजपा में रहें तो सदाचारी कैसे? जीरो टोलरेंस की बात करने वाले 40 परसेंट कमीशन ब्रांड ईश्वरप्पा के आगे गिड़गिड़ाना मजबूरी है या शौक? ना खाऊंगा ना खाने दूंगा भी जुमला है?

देश की जनता को इस बात में कोई रुचि नहीं है कि आप आम चुस कर खाते हैं या काटकर? आटा काजू का है या गेहूं का? सब्जी मशरूम की है या बैगन की? लेकिन यह जरूर जानना चाहते हैं कि अपने चुनावी वायदों पर अब आपका क्या ख्याल है? कब तक आपकी नीतियां केवल चंद पूंजीपतियों के मुनाफे पर केंद्रित होगी?

 

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