0 अघोर की आड़ में चली सियासत घनघोर
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। जब से राजनीति में धर्म की घुसपैठ कराई गई है तब से मान्यताओं और परंपराओं को तार – तार किया जाने लगा है। सियासत चमकाने के लिए कुछ सियासी दलों के लोग ऐसे – ऐसे प्रयोग करने लगे हैं कि लगता है वे धर्म के असली स्वरूप को बिगाड़ने पर आमादा हैं। ऐसा ही कुछ इस साल बस्तर में रामनवमी पर निकाली गई शोभायात्राओं में भी देखने को मिला। भगवान श्रीराम और अघोरपंथ के बीच जुगलबंदी की कोशिश की गई।
भगवान श्री रामचंद्र का अघोरपंथ से दूर दूर का भी नाता नहीं रहा, मगर स्वयं को प्रभु श्रीराम का अनुयायी मानने वाले कुछ लोगों ने भगवान राम और अघोरपंथ के बीच बेमेल जुगलबंदी दिखाने की कोशिश की। भगवान श्रीराम एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई और उत्कृष्ट प्रजा रक्षक राजा के रूप में जाने जाते हैं। मर्यादाओं का पालन करने की प्रेरणा हमें उनसे मिलती है। वे क्षत्रिय कुल में अवतरित हुए थे, अतः प्रजा और हर प्राणी की रक्षा करना उनका परम धर्म था, जिस पर वे खरे भी उतरे। वहीं अघोरपंथ पर चलने वाले साधुओं को सामाजिकता की मुख्य धारा से परहेज करने वाला माना जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि भगवान श्रीराम और अघोरपंथियों में जमीन आसमान का फर्क रहा है। इस बार बस्तर जिले के जगदलपुर शहर तथा कुछ अन्य स्थानों पर रामनवमी पर भव्य शोभायात्राएं निकाली गईं। शोभायात्राओं का आकर्षण बढ़ाने के लिए रामभक्तों ने बहुरुपिए अघोरियों की मदद ली। बनारस से बुलाए गए कलाकार अघोरी का स्वांग रचाकर शोभात्राओं के आगे आगे चलते हुए विचित्र करतब दिखा रहे थे। वे सड़क पर राख फेंकते थे और उससे आग भड़क उठती थी। संभवतः रासायनिक पदार्थों के मिश्रण का उपयोग कर ये नकली अघोरी ऐसा चमत्कार दिखा रहे थे। इसके अलावा वे अजीबोगरीब नृत्य का प्रदर्शन भी कर रहे थे। कुल मिलाकर अजूबे की तरह नजर आ रहे कृत्रिम अघोरी तथा उनकी करामात लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे थे और आयोजकों को इसमें सियासी फायदा नजर आ रहा था।