0 विधानसभा में उठा सीएसआर के दुरुपयोग का मुद्दा
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में आज प्रश्नकाल में प्रतिपक्ष ने सीएसआर मद के दुरुपयोग का मुद्दा उठाकर सत्ता पक्ष को जमकर घेरा। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि यहां की जमीन कोयला और पानी सब कुछ लूटा जाता है। उन्होंने सीएसआर का राजनीतिकरण करने का आरोप भी लगाया। इस मुद्दे पर तीखी बहस के बाद सत्ता पक्ष के जवाब से असंतुष्ट भाजपा सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया।
आज सत्र की शुरुआत में दिवंगत विधायक नीलिमा सिंह टेकाम को श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि के बाद सदन की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित हुई। कार्यवाही पुनः आरंभ होने पर नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने पूछा कि कोरबा, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा में वर्ष 2021- 22 वर्ष 2022- 23 से लेकर 15 फरवरी 2023 तक किन-किन औद्योगिक संस्थानों से कितनी राशि सीएसआर से प्राप्त हुई? राज्य की जमीन पर उद्योग लगते हैं, राज्य के संसाधनों का उपयोग होता है लेकिन सीएसआर के फंड के उपयोग के लिए कोई नीति नहीं है। मापदंड के अनुरूप कितनी राशि प्राप्त होनी थी और कितनी राशि प्राप्त हुई?
नेता प्रतिपक्ष के सवाल के जवाब में मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि जिन कंपनियों ने सीएसआर के तहत राशि नहीं दी है, उन्हें राशि देनी है। जो कंपनियां देरी करती हैं, उन पर कार्यवाही करने का भी नियम है। इस पर नारायण चंदेल ने कहा कि ओडिशा राज्य ने सीएसआर फंड के उपयोग के लिए स्पष्ट नीति बनाई है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई नीति नहीं है। तब मोहम्मद अकबर ने कहा कि ओडिशा की नीति मंगा कर अध्ययन कर लिया जाएगा। इस दौरान भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर ने कहा कि पैसा देने के लिए जब कंपनियां बाध्य हैं, ऐसी स्थिति में जो कंपनियां सीएसआर फंड जमा नहीं करती हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है? इस पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि कंपनी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। कंपनी के खिलाफ केंद्र के एक्ट के तहत ही कार्रवाई हो सकती है। तब अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि राज्य सरकार की क्या भूमिका है? इस पर मंत्री अकबर ने कहा कि राज्य सरकार को सीधी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार कंपनी अधिनियम के पालन करने के लिए कंपनी को कह सकती है लेकिन कार्रवाई कंपनी अधिनियम के तहत ही होगी। इस पर भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा ने कहा कि केंद्रीय अधिनियम का हवाला देकर राज्य सरकार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। 40 से 50 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार लेकर दुरुपयोग करती है। गांव के विकास के लिए राशि खर्च करने की जहांजरूरत होती है, वहां खर्च नहीं किया जाता।