भाजपा का चक्का जाम बेशर्मी और अवसरवादिता का नमूना – कांग्रेस

0 15 सालों तक नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले नक्सलवाद पर चक्का जाम की नौटंकी

0 भाजपा का अपने ही नेताओं की लाश पर राजनीति करना धृणित

रायपुर। भाजपा द्वारा नक्सल घटनाओं को लेकर किया गया चक्का जाम भाजपा की बेशर्मी और अवसरवादिता का नमूना है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 15 सालो तक नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले नक्सलवादी घटना पर चक्का जाम करने की नौटंकी कर रहे है। दलगत आधार पर सुरक्षा देना और सुरक्षा हटाना भाजपा की मानसिकता रही है। कांग्रेस पार्टी के लिये हर नागरिक की सुरक्षा देना और हर नागरिक का जीवन अनमोल है। भाजपा की तरह कांग्रेस दोहरी मानसिकता से काम नहीं करती। भाजपा की सरकार ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा नहीं दिया था। जिसके कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की पूरी पीढ़ी की हत्या हो गयी थी। भाजपा के शासनकाल में 15 साल में 118 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं नेताओं की हत्या हुई थी। तब भाजपा की संवेदनशीलता अैर नैतिकता कहा गयी थी। भाजपा नेताओं की हत्या निन्दनीय है। लेकिन भाजपा का अपने ही नेताओं की लाश पर राजनीति करना घृणित है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्य के नक्सल घटनाओं में 80 प्रतिशत तथा नक्सल हत्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को यदि देखा जाए तो इस दौरान राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे, जो कि बीते चार वर्षों में घटकर औसतन रूप से 250 तक रह गई है। वर्ष 2022 में अब तक मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं। राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं। वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं। नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी तेजी आई। बीते चार वर्षों में 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है। वहीं, बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं। दंतेवाड़ा जिले के 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव और कोंडागांव के 32 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त हुए हैं। दंतेवाड़ा पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे नक्सलियों के खिलाफ लोन वर्राटू  (घर वापस आइए) अभियान के तहत लगातार नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं, पिछले डेढ़ सालों में अब तक 500 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, इनमें 137 नक्सलियों पर ईनाम घोषित है,

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *