0 प्रश्नों के विकल्प में 2 सौ साल का फर्क, यह धोखेबाजी है
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने पीएससी परीक्षा पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि कुछ प्रश्नों में सही विकल्प ही नहीं दिया गया। कलचुरी वंश से संबंधित प्रश्न में सन 1741 के स्थान पर सन 1941 लिखकर विकल्प में 200 वर्षों का आश्चर्यजनक अंतर रखा गया है। अब बच्चों से यह पूछा जा रहा है कि राजनांदगांव में सीएम ने भेंट मुलाकात कब की। आत्ममुग्धता और अप्रासंगिक तथ्यों के साथ यह सब जानबूझकर इसीलिए किया जा रहा है कि जादा प्रश्न गलत और स्तरहीन पूछ कर भ्रष्टाचार की परिस्थितियों को निर्मित किया जा सके। हमारे छत्तीसगढ़ की पीएससी भ्रष्टाचार, स्तरहीनता की पराकाष्ठा को पार कर रही है। यह गाँव-गाँव से आये बच्चों और उनके माता-पिता के साथ सबसे बड़ा अन्याय है।
प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पीएससी प्रिलिम्स परीक्षा आयोजित हुई। प्रश्न क्रमांक 88 में कलचुरी वंश संबंधित प्रश्न है जिसमें विकल्प 1940 -1941 है जबकि छत्तीसगढ़ में 1740- 1741 के आसपास यह परिस्थितियां पैदा हुई। यह विकल्प में सीधा 200 साल का फर्क है। प्रश्न क्रमांक 66 में देखेंगे कि ब्रिटिश कैप्टन सेंडीज ने कौन सी ताहुतदारी का निर्माण किया, इसमें सही विकल्प लोरमी और तरेंगा का जिक्र किसी भी विकल्प में है ही नहीं। प्रश्न क्रमांक 57 में पूछा गया कि राजनांदगांव जिले में भेंट मुलाकात कार्यक्रम किस तारीख को संपन्न हुआ। इस तरह के अनेक अप्रासंगिक प्रश्न किए गए। प्रश्न क्रमांक 56 में देखेंगे कि 4 जुलाई 2022 तक भुइया पोर्टल में व्यक्तिगत वनाधिकार के कितने पत्र अपलोड हुए। इस तरह प्रत्येक अलग अलग तारीख को दुनिया में क्या कोई याद कर सकता है। इस तरह के अप्रासंगिक और स्तरहीन प्रश्न पूछकर पीएससी में भ्रष्टाचार की परिस्थितियों को उत्पन्न किया जा रहा है।
प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि अन्य प्रदेशों में पीएससी अन्य पीएससी और यूपीएससी के प्रश्न के स्तर से मैच करके परीक्षा का स्तर उन्नयन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में दुर्भाग्य का विषय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यूपीएससी और अन्य राज्यों की पीएससी की तरह छत्तीसगढ़ पीएससी को स्तरीय बनाने के बजाय छत्तीसगढ़ पीएससी में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जबकि पीएससी प्रदेश की सर्वोच्च संवैधानिक एजेंसी है।बेहतर भविष्य के लिए तैयार युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है। यह ऊँचे सपनों और बेहतर भविष्य के साथ गांव-गांव से आये बच्चों और उनके माता-पिता के साथ सबसे बड़ा अन्याय है।आज पूरे छत्तीसगढ़ के समाज में भारी हताशा और निराशा फैल रही है।