छत्तीसगढ़ में टारगेट किलिंग का आरोप लगाने वाले अरुण साव से पूछताछ करे केंद्रीय जांच एजेंसियां – धनंजय सिंह

0 भाजपा की आदत है लाशों पर राजनीति करना

0 भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं को खोने का दुख नहीं

रायपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद अरुण साव के द्वारा सदन में छत्तीसगढ़ में टारगेट किलिंग होने का मुद्दा उठाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद अरुण साव ने देश के सर्वोच्च सदन में झूठ बोलकर प्रदेश में नक्सलियों के द्वारा की गई हत्या को टारगेट किलिंग का रूप देकर घिनौनी ओछी राजनीति करने का षड्यंत्र रचा है। यह बेहद निंदनीय है दुर्भाग्य जनक है भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं की हत्या का दुख नहीं है बल्कि हमेशा की तरह भाजपा लाशों पर राजनीति कर रही है। यदि अरुण साव नक्सलियों के द्वारा की गई हत्या को टारगेट किलिंग बता रहे हैं तो निश्चित तौर पर उनके पास मजबूत आधार सबूत होंगे तो उन्हें सदन के पटल पर रखना था और केंद्रीय जांच एजेंसियों को साव के द्वारा लगाये गये आरोप की जांच की शुरुआत अरुण साव से ही पूछताछ कर शुरू करना चाहिए अरुण साव का नारको टेस्ट भी होना चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि नक्सलियों के द्वारा जिनकी हत्या की गई है वो भाजपा कार्यकर्ता से पहले छत्तीसगढ़ के नागरिक हैं और उनकी हत्या का दुख पूरा प्रदेश को है लेकिन भाजपा पूर्व की रमन सरकार की नक्सल मोर्चे में नाकामी और 15 साल में हुई छत्तीसगढ़ में नक्सली वारदातों से ध्यान भटकाने के लिए अब भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या को टारगेट किलिंग का झूठा आरोप लगा रही है। राज्य निर्माण के वक्त चार विकासखंड तक सीमित नक्सलवाद रमन सरकार के नक्सलियों के साथ सांठगांठ के चलते 14 जिलों तक पहुंच गया तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का गृह जिला कवर्धा भी नक्सल प्रभावित हो गया इन 15 सालों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने अनेक वारदात किए जिसमें छत्तीसगढ़ के आम नागरिक सुरक्षा के जवान शहादत और राजनीतिक दल के नेताओं की हत्या हुई इन सभी हत्या की जिम्मेदारी पूर्व की रमन सरकार की है। पूर्व की रमन सरकार नक्सलवाद को खत्म करने के लिए गंभीर नहीं था जिसके चलते ही छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पनपा है नक्सलवाद को खत्म करने आये पूर्व डीजीपी केपीएस गिल को रमन सरकार ने वेतन लेने और मौज करने की सलाह दिये थे इससे स्पष्ट होता है कि रमन सरकार नक्सलवाद को खत्म करना नही चाहती थीं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि झीरम घाटी कांड एक नक्सली राजनीतिक षड्यंत्र हत्याकांड था जिसके दोषियों को बचाने का काम पूर्व की रमन सरकार ने किया था अगर रमन सरकार कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा करती तो हमारे नेता शहीद नहीं होते और इस हत्याकांड के बाद लगातार रमन सरकार जांच को प्रभावित करते रही है पीड़ित पक्ष को गुमराह करते रही है सदन में सीबीआई जांच की मांग को स्वीकार करने के बाद भी रमन सरकार ने झीरम घाटी कांड की सीबीआई जांच नहीं होने दी और जब कांग्रेस की सरकार ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया तब एनआईए ने जांच की फाइल राज्य सरकार को नहीं सौंपी और रमन सरकार के दौरान गठित न्यायिक जांच आयोग में 8 नया बिंदु जोड़कर जांच आयोग का कार्यकाल को बढ़ाया गया तब भाजपा के नेता धरमलाल कौशिक न्यायालय जाकर जांच आयोग के जाच को प्रभावित किए हैं और जांच आयोग की जांच को प्रभावित करने का सीधा लाभ झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल षड्यंतकरियो को मिला।

 

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