रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि टीम कैट ने केन्द्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल से मुलाकात कर जीएसटी सरलीकरण तथा आम बजट हेतु आयकर सुझाव हेतु केन्द्रीय वित्तमंत्री सीतारमण के नाम से ज्ञापन सौपा।
टीम कैट ने बताया कि ज्ञापन में जीएसटी सरलीकरण एवं विसंगतियो तथा आम बजट हेतु आयकर पर सुझाव प्रस्तुत किये जो निम्नानुसार हैः-
जीएसटी सरलीकरण हेतु सुझाव :-
1. एक ही लेनदेन पर दो दो बार ब्याज :-जैसा कि विदित है कि यदि विक्रेता समय पर जीएसटीआर 1/ 3 बी रिर्टन फाईल नहीं करता है, तो उसे देरी से रिर्टन भरने के साथ विलंब शुल्क और ब्याज का भुगतान भी करना पड़ता है एंव चुकी विक्रेता ने समय पर रिटर्न फाईल नही करने पर अगर खरीददार इनपुट क्लेम करता है, तो उसे भी जीएसटीआर 2 बी मे इनपुट नहीं दिखने के कारण ब्याज का भुगतान करना पड़ता है, ऐसी स्थिति मे समान लेनदेन पर दो बार ब्याज लगता है जो की प्राकृतिक नियम के विरुद्व है। अतः आप से निवेदन है, कि विक्रेता देर से रिर्टन भरने की स्थिति में शुल्क के साथ साथ ब्याज भी देतीं है, तो खरीददार के द्वारा इनपुट लेने पर खरीददार से ब्याज नहीं लेना चाहिए।
2.विक्रेता पर ही कार्यवाही की जानी चाहिए :-जैसा कि विदित है, कि यदि विक्रेता जीएसटी रिटर्न फ़ाइल नहीं करता है, तो खरीददार को इनपुट नहीं मिलता है, भले ही उसने इनपुट से सम्बधित सभी नियमां का पालन कर दिया हो, जैसे-विक्रेता को समय पर भुगतान, वस्तु की प्राप्ति आदि परंतु यह देखा जाता है, कि अगर खरीददार ने इनपुट ले लिया है और इनपुट से सम्बधित सभी नियमां का पालन किया है, तो भी विभाग द्वारा विक्रेता रिटर्न फ़ाइल नहीं करने पर खरीददार को ही परेशान किया जाता है, जो कि प्राकृतिक नियम के विरुद्ध है। क्योंकि विक्रेता की गलती के लिए विक्रेता को छोड़ कर खरीददार को पकड़ा जाता है, जिससे विक्रेता को ऐसी गतिविधि करने के लिए और हौसले बुलंद होते जा रही है जो कि सही नहीं है।
आम बजट में आयकर हेतु सुझाव :-
1. खरीदी बिक्री में टीडीएस/टीसीएस जो लग रहा है वह युक्ति संगत नहीं उसमें सुधार होना चाहिए।
2 धारा 80 डी :- जो मेडिक्लेम इंश्योंरेंस से संबधित है। चूंकि वर्तमान में मेडिकल इलाज महंगे हो गये है अतः इसकी सीमा 25,000/- को बढाकर कम से कम 50,000/- की महती जररूत है। मंत्री से मुलाकात में टीम कैट के पदाधिकारी मुख्य रूप उपस्थित रहे :- परमानन्द जैन, सुरिन्दर सिंह, भरत जैन, महेन्द्र बागरोडिया , अवनीत सिंह एवं उदित अग्रवाल आदि।