रायपुर। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि किसी भी संवैधानिक पद की मर्यादा और सम्मान को बनाये रखने का पहला दायित्व उस पद पर विराजमान व्यक्ति का होता है। उसके आचरण व्यवहार और कार्य न सिर्फ निष्पक्ष हो पद की गरिमा के अनुकूल हो ताकि किसी को भी उस पद और उसको धारित व्यक्ति पर उंगली उठाने का अवसर न मिले।
संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के प्रति आजादी के बाद से ही जन सामान्य के हृदय में सम्मान की भावना न सिर्फ रही है उसका प्रदर्शन भी देखने को मिलता रहा है। यह सम्मान कानूनी बाध्यता नहीं अपितु राष्ट्रीय संस्कार है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने यदि अपने पद की मर्यादा को लांघा तो उसके लिए उसकी आलोचना भी हुई है। इसके अनेकों उदाहरण है।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर छत्तीसगढ राजभवन का आचरण और कार्यप्रणाली दोनों पर सवाल खड़े हुए। राजभवन ने अपने संवैधानिक मर्यादा का न सिर्फ उल्लंघन किया प्रजातंत्र की सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था विधायिका के कार्यो अधिकारों पर भी अतिक्रमण करने का प्रयास किया है। विधानसभा के द्वारा सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक पर राजभवन की हठधर्मिता साफ दिखती है। राजभवन की कार्यप्रणाली भी संविधानेत्तर और प्रजातंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। राज्य की विधानसभा द्वारा पारित विधेयक बिना न्यायालय गए ही न्यायालय जाने की प्रत्याशा में विधेयक को रोके रखना प्रदेश के उन वर्गों के साथ अन्याय है जिनके हितों को ध्यान में रख कर विधानसभा ने विधेयक को पारित किया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का आरक्षण संशोधन विधेयक पर आचरण और राजभवन की कार्यप्रणाली में समानता सिर्फ संयोग नहीं है अपितु राजभवन भाजपा के टूल की भांति उपयोग हो रहा। ऐसे में प्रदेश के सर्व समाज के हितों की रक्षा तथा वंचित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार देने के लिए यदि कुछ प्रतिमानों को ध्वस्त करने की नौबत आती है तो जनसरोकारों के लिए कांग्रेस पार्टी उससे भी पीछे नहीं हटेगी।