0 मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग प्रमुख ने व्यक्त किया आभार
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। जब कोई जन प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास और जन सुविधाओं के विस्तार के साथ जनता के हर दुख दर्द में मददगार साबित होता है तो वह सच्चे अर्थों में जनता का प्रतिनिधि बन जाता है। किसी राजनीतिक दल के नेता से जन नेता बन जाता है। बस्तर विकास, बस्तर की जनता की सुविधाओं के विस्तार के लिए सड़क से संसद तक सक्रिय बस्तर सांसद दीपक बैज का अब एक ऐसा जन सरोकार सामने आया है जो जनसेवा के लिए राजनीति को कॅरियर बनाने वालों के लिए प्रेरक प्रसंग है। बस्तर सांसद दीपक बैज ने बस्तर और बस्तर की जनता के हित में अब तक के पौने चार साल के अपने संसदीय कार्यकाल में इतना कुछ किया है कि वह बस्तर के संसदीय इतिहास में स्वयं में एक विशिष्ट पहचान है। बस्तर के साथ साथ छत्तीसगढ़ और देश की जनता को भी पता है कि बस्तर के युवा सांसद ने अपने पहले संसदीय कार्यकाल में अपने प्रदर्शन से कई धुरंधरों को पीछे छोड़ दिया है। अब बस्तर की आवाज संसद में पूरी दमदारी से गूंजती है और देश दुनिया में बस्तर के बदले माहौल का संदेश देती है। बस्तर संसदीय क्षेत्र वैसे तो अपनी संस्कृति और प्राकृतिक छटा के लिए सदा से ही आकर्षक का केंद्र रहा है, अब बस्तर का संसदीय नेतृत्व भी आकर्षित कर रहा है। लोक स्वास्थ्य और मानवीय संवेदनाओं को अहमियत देने वालों को यह जानकर खुशी होगी कि बस्तर सांसद दीपक बैज के सहयोग से बस्तर के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान शासकीय मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में नवजात शिशुओं के लिए गहन चिकित्सा मिल रही है। इसके लिए दीपक बैज ने अपनी सांसद निधि से उपकरण उपलब्ध कराए हैं ताकि बस्तर के नन्हें जीवन दीप जगमगाते रहें। मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर व अध्यक्ष डॉ. अनुरूप कुमार साहू ने सांसद बैज के योगदान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि बस्तर सांसद दीपक बैज द्वारा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना अंतर्गत प्रदत्त वेंटिलेटर रेडिएंट वार्मर सीपेप मशीन मल्टीपैरामीटर एक्सरे मशीन नियोनेटल वेंटिलेटर सर्किट व अन्य उपकरणों से नवजात शिशुओं के गहन इलाज में सहयोग मिलता है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2022 से दिसंबर 20 22 के मध्य 1 वर्ष में शहीद महेंद्र कर्मा स्मृति चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में 106 नवजात शिशुओं की वेंटिलेटर मशीन में इलाज से जान बचाई गई। इन्वेंसीव वेंटिलेटर सपोर्ट के पश्चात ठीक होने वाले शिशुओं का प्रतिशत करीब 38 प्रतिशत रहा है। अस्पताल में 36 बेड का एसएनसीयू है। वार्ड में वेंटिलेटर सीपेप फोटोथेरेपी सेंट्रल ऑक्सीजन सेंट्रल सक्सन मल्टीपैरामीटर रेडिएंट वार्मर व अन्य आवश्यक उपकरण दवाइयां उपलब्ध हैं। इलाज और जांच पूर्णतः निशुल्क होती है। उन्होंने बताया कि प्रीमेच्योरिटी एक्सफेक्सीया, निमोनिया और अन्य गंभीर स्थिति में फेफड़ा काम करना बंद कर देने से वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। सबसे ज्यादा प्रीमेच्योर लो बर्थ वेट शिशुओं को दिक्कत रहती है। डॉ. साहू ने बताया कि सितंबर 22 में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने एसएनसीयू के निरीक्षण के दौरान नवजात शिशुओं के बेहतर इलाज हेतु आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए इलाज की निशुल्क व्यवस्था करने आदेशित किया था। सांसद के सहयोग और स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के तहत शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय डिमरापाल में नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं, जिनका बेहतर परिणाम सामने आ रहा है। यह हमारा छोटा सा प्रयास है। आगे इस दिशा में और अधिक प्रयास किए जा सकते हैं ताकि नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा की जा सके।