भूपेश अपनों के नहीं हुए, वह गरीबों के क्या होंगे- भाजपा

0 डॉ. रमन सिंह सादगी के साथ जनसेवा के पर्याय हैं – डॉ. कृष्ण मूर्ति बांधी

रायपुर। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि डॉ. रमन सिंह जी ने 15 साल मुख्यमंत्री के रूप में, उसके पहले केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में और उसके पहले गरीबों के डॉक्टर के रूप में जनसेवा की है। उनका जनसेवा भाव और आम जनता से आत्मीयता का कीर्तिमान कांग्रेस के मुख्यमंत्री कभी सपने में भी नहीं छू सकते। भूपेश बघेल का अहंकार 4 साल की सत्ता में इतना सिर चढ़कर बोल रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को कहना पड़ रहा है कि चुनाव के पहले अपने भविष्य के बारे में फैसला लेंगे। जिस मुख्यमंत्री से वरिष्ठ मंत्री त्रस्त है, जो मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात के नाम पर डांट फटकार कार्यक्रम चला रहा है, उससे डॉ. रमन सिंह को सीखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने डेढ़ दशक तक मुख्यमंत्री रहते हुए गरीबों को अपना परिवार माना है और आजीवन मानते रहेंगे। डॉ. रमन सिंह ने ही गरीबों के साथ, बच्चों के साथ भोजन करने की परंपरा शुरू की। भूपेश बघेल तो इसमें भी राजनीति कर रहे हैं।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. कृष्ण मूर्ति बांधी ने कहा कि या तो कांग्रेस के संचार प्रमुख वर्ष 2018 के बाद राजनीति में आए हैं या फिर 2018 से पहले वह गहरी नींद में सोए हुए थे जो उन्हें न तो उन्हें छत्तीसगढ़ का विकास दिखाई दिया और न ही डॉक्टर साहब की सभी को साथ लेकर चलने की नीति दिखाई दी। भूपेश भक्ति में उन्हें सब कुछ उन्हीं पर केंद्रित नजर आता है। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद राजनीति में आए सुशील आनंद शुक्ला के लिए मैं कुछ तस्वीरें लेकर आया हूं। वह इन तस्वीरों को देख लें और भूपेश बघेल को भी दिखा दें तो शायद उन्हें यह समझ आ जाएगा कि किस व्यक्ति ने किस से प्रेरणा लेकर क्या काम किया है। डॉक्टर रमन सिंह के लिए गरीबों के घर पर उनके साथ भोजन करना समान भाव और सेवा भाव का प्रतीक होता था लेकिन आज भूपेश बघेल ने इस सेवा को भी राजनीति में परिवर्तित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा ही समाज को एकजुट रखने के लिए अनेकों प्रयास किए हैं लेकिन आज भूपेश बघेल आदिवासी विरोधी बनकर समाज में बंटवारे का बीज बो रहे हैं। ऐसे व्यक्ति से कोई भी क्या सीख सकता है। वैसे कांग्रेस के बघेल भक्तों को समझ लेना चाहिए कि जो व्यक्ति अपनों का नहीं हुआ, वह गरीबों का क्या होगा।

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