0 बैज बने लोकसभा में मुख्यमंत्री बघेल के दूत, बोले राजभवन बन गया राजनीति का अखाड़ा
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। बस्तर सांसद दीपक बैज ने मात्रात्मक त्रुटियों के कारण आदिवासी हितलाभ से वंचित जनजाति समाज के लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए पारित किए गए संशोधन पर बहस में हिस्सा लेते हुए जिस तरह से छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर राजभवन पर सीधा निशाना साधा, उससे खलबली मच गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ की आवाज बन कर दीपक बैज ने सीधे तौर पर सवाल किया कि जब राज्यपाल के कहने पर आदिवासी आरक्षण बिल पास किया गया और राज्यपाल ने कहा था कि फौरन मंजूरी दे देंगे तब क्या बात है कि राजभवन में आदिवासी आरक्षण बिल लटका कर रखा गया है। राज्यपाल आदिवासी होते हुए भी आदिवासियों के आरक्षण का बिल किसके दबाव में रोके हुए हैं। राजभवन राजनीति का अखाड़ा बन गया है।
बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि अनुसूचित जनजाति पर पांच राज्यों का संशोधन बिल आया है और उसमें हमारा छत्तीसगढ़ शामिल है। मंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। संविधान के अनुच्छेद 342 उपबंध के अनुसार विभिन्न राज्यों के संबंध में अनुसूचित जनजाति सूची को संविधान अनुसूचित जनजाति आदेश 1950 द्वारा 6 दिसंबर 1950 को किया गया। हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री जी को पत्र के माध्यम से जातियों को सूची में शामिल करने का निवेदन किया था और इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने हमेशा केंद्र सरकार को, जनजाति मंत्रालय को, प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर हमेशा छत्तीसगढ़ की जातियों को शामिल करने के लिए हमेशा निवेदन किया। छत्तीसगढ़ में 2011 की जनगणना के अनुसार 78 से 80 लाख से अधिक आदिवासियों की जनसंख्या है और 12 जातियों को शामिल करने से 40 जनजातियां छत्तीसगढ़ में शामिल हो गई। यह जनजातियां पिछले 3 सालों से केंद्र सरकार से मांग कर रही थीं।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण के मसले पर बस्तर सांसद दीपक बैज ने संसद में राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाने में जिस धाराप्रवाह तरीके से पूछ लिया कि राज्यपाल किसके दबाव में आदिवासी आरक्षण बिल पर मंजूरी नहीं दे रहीं, छत्तीसगढ़ से भाजपा के 9 सांसदों पर दीपक अकेले ही भारी पड़ गए। छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल पर भारी राजनीति हो रही है। मुख्यमंत्री, राज्य के तमाम मंत्री और कांग्रेस संगठन के नेता राजभवन पर अंगुली उठा रहे हैं लेकिन दीपक बैज ने आरक्षण बिल पर मास्टर स्ट्रोक लगाकर सदन में जो अभिव्यक्ति दी, वह आदिवासी हक की लड़ाई में एक नया इतिहास रच गई।
बस्तर सांसद दीपक बैज ने सदन को बताया कि 32 फीसदी आदिवासी आरक्षण में हाइकोर्ट से कटौती क्यों हुई, इसके लिए जिम्मेदार कौन है। आज इसी कारण से छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपने हक से वंचित हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए 1 और 2 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का काम किया और आरक्षण बिल पास हुआ। राजभवन हमारा बिल गया। राजभवन में हमारा आरक्षण का बिल लटका हुआ है। आज तक माननीय राज्यपाल ने मंजूर नहीं किया। मैं तो समझता हूं इसको बहाने बनाकर, इसको बहाना ढूंढ कर इसको लटकाने का काम कर रहे हैं। राज्यपाल किसके दबाव में हैं, केंद्र सरकार के दबाव में, प्रधानमंत्री के दबाव में, आखिर किसके दबाव में हैं। अब दीपक बैज ने 32 फीसदी आदिवासी आरक्षण का मुद्दा जिस आक्रामकता के साथ उठाया है, उससे समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में बेहतर तैयारी के साथ यह गर्जना हुई है।