0 राष्ट्रीय मुद्दे पर जोरदार सवाल, आया सियासी उछाल
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। बस्तर टाइगर कहलाने वाले तमाम दिग्गज नेताओं ने अपने अपने दौर में बस्तर के लिए जितनी दहाड़ मारी, वह वजनदार है लेकिन अब बस्तर का यंग टाइगर बस्तर के वनांचल से लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत तक जनहित और विकास के लिए गर्जना कर रहा है, वह कई मायनों में अतीत से अलग है। एकदम जुदा है। स्थानीय मुद्दे और प्रादेशिक विषय उठाना हर सांसद का लोक धर्म है। बस्तर सांसद दीपक बैज भी अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और छत्तीसगढ़ राज्य के हक में आवाज बुलंद करते हैं।लेकिन इसके अलावा वे राष्ट्रीय मुद्दों पर जिस गहराई का परिचय दे रहे हैं, वह मुनादी कर रहा है कि बस्तर की वादियों में एक ऐसा जननेता प्रकट हो गया है जो इस इलाके, इस राज्य के साथ साथ देश की चिंता करता है। देश के किसानों का दर्द हो अथवा अनुसूचित जाति जनजाति समाज का, अर्थव्यवस्था का मुद्दा हो या जनता के धन का, हर तरफ दीपक बैज की पैनी नजर है। हर संवेदनशील मामले पर उनका चिंतन और मनन आम जनता के लिए निरंतर जारी है। दीपक की रोशनी बढ़ती जा रही है। यह रोशनी संसद के माध्यम से देश के उस हर व्यक्ति तक पहुंच रही है, जो चाहते हैं कि जनता का पैसा दीमक की तरह चट कर जाने वाले धन पिपासु बचने नहीं चाहिए। दीपक बैज जिस प्रकार से राष्ट्रीय मुद्दों पर मुखर हैं, उससे इन संभावनाओं को विस्तार मिला है कि पहली बार बस्तर से वाकई राष्ट्रीय स्तर का विचारक जनप्रतिनिधि स्थापित हो सकता है। पूर्व में बस्तर से बड़े बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री भी हुए हैं मगर जो जोश, जो होश दीपक में दिखाई देता है, वह नया अनुभव है। अब संसद के शीत सत्र में बस्तर सांसद दीपक बैज ने केंद्र सरकार से 10 लाख 9 हजार 511करोड़ के बट्टे खाते का हिसाब पूछ कर खलबली मचा दी। लोकसभा में लोक हित के मसले बेहद संजीदगी से उठाने वाले सांसद दीपक बैज ने कहा कि यह देश की जनता से जुड़ा बहुत गंभीर विषय है। मंत्री का जवाब आया है कि सरकार ने 5 साल में 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ बट्टे खाते में डाले हैं। यह देश की जनता का पैसा है। नौकरी करने वालों का पैसा है, छोटे छोटे कारोबार करने वालों का पैसा है, किसानों का पैसा है सरकार बताये कि ये कौन लोग हैं, पिछले 5 साल में कितने लोग पैसा लेकर देश छोड़कर भाग गए और क्या सरकार इनके नामों को सार्वजनिक करेगी। इस पर विभागीय मंत्री ने सदन में बताया कि आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार नाम डिक्लेअर नहीं किये जाते हैं। लेकिन जब उनके ऊपर एक्शन होती है तब नाम सामने आते हैं। इस पर सांसद दीपक बैज ने कहा कि माननीय मंत्री जी भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 452 के अनुसार नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता, हमने समझ लिया। लेकिन छोटे छोटे कर्ज वालों के नाम सार्वजनिक हो जाते हैं। इन लोगों के नाम बताने से क्या दिक्कत है, यह जानना चाहता हूं। जो टॉप ट्वेंटी बिल्कुल डिफाल्टर हैं, उनके नाम बताएं। विपक्ष के सदस्यों ने दीपक बैज की मांग का समर्थन करते हुए डिफॉल्टरों के नाम बताने की मांग की। यहां गौर करने वाली बात यह है कि बस्तर सांसद को भरपूर समर्थन मिला। इससे भी ज्यादा अहम यह है कि दीपक आम जनता का वह दर्द संसद में बयां कर रहे हैं, जो चंद रुपये का कर्ज न लौटाने की विवशता के बावजूद अपमानित किया जाता है। जिसके दामन पर दाग धब्बे लग जाते हैं कि वह डिफाल्टर है। दीपक यह बताना चाहते हैं कि एक तरफ गरीब की इज्ज़त कोई मायने नहीं रखती। दूसरी ओर जनता का खरबों रुपये लूटने वाले देश से भाग जाते हैं। सरकार लाखों करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल देती हैं। ऐसे ठगों का सम्मान बरकरार है, तो आखिर यह विसंगति क्यों? कानून तो सबके लिए एक है फिर यह भेद क्यों? दीपक ने साबित कर दिया है कि वह गरीब से लेकर देश के हित में सजग हैं। अपने नुमाइंदे की व्यापक सोच पर बस्तर गौरव अनुभव कर रहा है।