कैसे करें इंकार कि बदले जा सकते हैं कांग्रेस के सूबेदार…

0 शानदार पारी खेल कर पुनिया विदा, शैलजा सम्हालेंगी कमान

(सत्यप्रकाश दुबे)

रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के स्थान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को संगठन की कमान सौंप दी है। पुनिया शानदार पारी खेलने के बाद पैवेलियन लौटे हैं और अब कुमारी शैलजा पर अगले साल इन्हीं दिनों होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी होगी। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारियों के इतिहास में सबसे सफल प्रभारी रहे पुनिया ने जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन की कमान संभाली थी, उस वक्त उन्हें 15 साल से वनवास भोग रही कांग्रेस को सत्ता पर काबिज कराने का टास्क मिला था, जिसे उन्होंने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ मिलकर पूरा कर दिखाया। पुनिया और बघेल की जोड़ी ने संगठन के सभी दिग्गजों को एक सूत्र में पिरोकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का अद्भुत संचार किया तो आम जनता को इतना आकर्षित भी किया कि 2018 के चुनाव में चमत्कारिक रूप से 90 में से 68 सीट जीत लीं। भूपेश बघेल की मेहनत रंग लाई और वे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया बने। यद्यपि छत्तीसगढ़ राज्य की पहली सरकार भी कांग्रेस की थी लेकिन वह बंटवारे के संख्या बल के आधार पर बनी थी। छत्तीसगढ़ राज्य की जनता ने लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस को निराश किया। किंतु जब भूपेश बघेल ने पीएल पुनिया के साथ मिलकर सभी कांग्रेसियों को एक किया, कांग्रेस की सारी उंगलियां एक हो गईं, मुट्ठी बंध गई तो ताकत बढ़ गई। कांग्रेस प्रभारी पुनिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जुगलबंदी ने लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाकी सभी चुनाव में सफलता के झंडे गाड़े हैं। लोकसभा चुनाव में भी गिनती को एक से दो पर पहुंचाया है। लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर होते हैं और बीते लोकसभा चुनाव के हालात की बात करें तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कई अन्य राज्य कांग्रेस कमेटियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। उस वक्त मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस सरकार थी लेकिन 29 में से सिर्फ 1 लोकसभा सीट हासिल हुई जबकि छत्तीसगढ़ में11 में से 2 सीटों पर बघेल और पुनिया की रणनीति ने मोदी की आंधी को रोक दिया। यह कोई कम तो नहीं। पुनिया के प्रभार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने अब तक 4 विधानसभा उपचुनाव जीते हैं और पांचवें उपचुनाव का मतदान होने के बाद पुनिया का प्रभार कुमारी शैलजा को सौंपा गया है। संकेत हैं कि अब कांग्रेस के प्रदेश संगठन में भी बदलाव हो सकता है। विपक्ष में बैठी भाजपा ने पहले प्रदेश अध्यक्ष बदला, फिर नेता प्रतिपक्ष बदले गए, उनके बाद प्रदेश प्रभारी बदल गईं। भाजपा ने डी. पुरंदेश्वरी के स्थान पर ओम माथुर को प्रभार सौंपा है तो कांग्रेस ने पीएल पुनिया की जगह पर कुमारी शैलजा को अगले चुनाव की जिम्मेदारी दी है। इसके पीछे रणनीति यह है कि अब भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ज्यादा सक्रिय होंगी। जवाब में कांग्रेस ने काफी अनुभवी राजनीतिज्ञ और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को आगे किया है। वैसे सत्ता काल में मुख्यमंत्री के काम ही चुनाव में काम आते हैं लेकिन चुनावी रणनीतिकार भी बेहद अहम होता है। विपक्ष के समय प्रभारी की जिम्मेदारी ज्यादा होती है, जैसी की पुनिया ने निभाई और अब भाजपा की तरफ से ओम माथुर निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजनीति पुनिया के योगदान को हमेशा याद रखेगी। अब कांग्रेस संगठन में शैलजा युग आरंभ हुआ है तो जल्द ही प्रदेश संगठन में भी नवीनता प्रकट हो सकती है। यदि बदलाव हुआ तो अगले साल के चुनावी समीकरण के अनुरूप ही होगा।

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