रायपुर। शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय में रक्षा अध्ययन के विभागाध्यक्ष डॉ गिरीश कांत पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि आज़ रक्षा अध्ययन विभाग द्वारा “आगामी दशक में भारत की रक्षा नीति” पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य पी सी चौबे द्वारा किया गया, इस कार्यक्रम का उद्बोधन डॉ प्रवीण कड़वे सर द्वारा किया गयाl संगोष्ठी मे रक्षा अध्ययन के विभागाध्यक्ष डॉ गिरीश कांत पांडेय ने भारतीय रक्षा नीति के संबंध में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तारपूर्वक समझाया, जिसमें उन्होंने बताया कि “किसी भी देश की रक्षा नीति उसकी भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है” जिसके तहत एक राज्य अपने वैदेशिक नीतियों का निर्धारण करता है, एवं उन्होंने एलपीजी मॉडल पर परिचर्चा की , साथ ही 5 कॉलम के बारे में अवगत करायाl एवं भारतीय सुरक्षा हेतु वर्तमान परिपेक्ष में भारत को साइबर युद्ध कर्म , परमाणु युद्ध कर्म एवं कृत्रिम बुद्धिमता से निपटने हेतु अपनी तैयारियों के बिंदुओं को विस्तार पूर्वक समझाया l साथ ही भारत के राष्ट्रीय हित संबंधी क्षेत्र हिंद -प्रशांत क्षेत्र में भारत को अन्य देशों के साथ पारस्परिक संबंधों को स्त्रातेजिक दृष्टिकोण में विकसित करने हेतु प्रयासो एवं भारत को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षा नीति की जगह आक्रामक रणनीति नीति सम्बन्धी नीतियों का पुनः अवलोकन आवश्यकता के बिंदुओ को बतलाया।
रक्षा अध्ययन के विभागाध्यक्ष डॉ गिरीश कांत पांडेय ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री सतीश मिश्रा जी (पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी) ने संगोष्ठी वक्तव्य में कहा कि “किसी भी राज्य का ना कोई स्थाई शत्रु और ना ही कोई स्थाई मित्र होता है। केवल राष्ट्रीय हित ही स्थाई होता है”। साथ ही उन्होंने बताया कि “भारत को वास्तविक खतरा पाकिस्तान से नहीं, बल्कि चाइना से है “जिससे सामना करने हेतु भारत को क्वाड तंत्र को मजबूत करना होगा तथा भारतीय सशस्त्र बल को और अधिक एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना करनी होगी जो भारत को किसी भी बाह्य या आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से सुरक्षा प्रदान करेगा। साथ ही भारतीय सशस्त्र सेनाओं को एकजुट करने में मदद करेगा l एवं भारत की मेक इन इंडिया पॉलिसी एवं आत्मनिर्भर भारत पहल के बारे में वक्तव्य दिया। अपनी वाणी को विराम देते हुए उन्होंने महान स्त्रातेजिक विचारक चाणक्य के वचन को दोहराया कि “एक शक्तिशाली राज्य की ताकत उसकी शक्तिशाली सेना में होती है”। अंत में डॉ गीतांजलि चंद्राकर जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। इस कार्यक्रम का संचालन मालविका नायर द्वारा किया गया जिसमें रक्षा अध्ययन विभाग के शोधार्थी छात्र एवं अन्य छात्र गण उपस्थित रहे।