पंचदिवसीय श्री शिव महापुराण का पूरी श्रद्धा के साथ विराम आस्था का उमड़ा जनसैलाब…

0 मुख्यमंत्री सहित अनेक मन्त्री, विधायक व जनप्रतिनिधि हुए सम्मिलित

रायपुर। विश्वविख्यात कथाव्यास पंडित प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से गुढ़ियारी स्थित हनुमान मंदिर परिसर में विगत पांच दिवस से चल रहे श्री चम्पेश्वर शिव महापुराण कथा का लाखों भक्तों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति में यादगार समापन हुआ. विराम दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, भाजपा संगठन महामंत्री पवन साय, क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, पूर्व मंत्री पूनम चंद्राकर, गृहमंत्री की धर्मपत्नी, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष पंकज शर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, विशिष्टजन व लाखों की तादाद में शिवभक्त मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में इस ऐतिहासिक आयोजन की मुक्तकंठ से प्रशंसा की व आयोजक बसंत अग्रवाल की पीठ थपथपाई. उन्होंने कहा कि इस भव्य आयोजन की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है, इस अवसर पर गौ-ग्राम-सनातन से जुड़ी अपने सरकार की योजनाओं व उपलब्धियों की भी जानकारी मंच से प्रदान की। विराम दिवस की कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव की महिमा, करुणा व दयालु स्वभाव का गुणगान किया, उन्होंने लाखों की भीड़ को अपने सुमधुर भजनों से मंत्रमुग्ध कर दिया. रायपुर के इस आयोजन हेतु उन्होंने आयोजक बसंत अग्रवाल सहित छत्तीसगढ़ की जनता को व्यासपीठ से बधाई व साधुवाद प्रेषित की।

गौरतलब है कि इस आयोजन को छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा, भव्य व सफल आयोजन माना जा रहा है.
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक बसंत अग्रवाल ने उद्बोधन के दौरान समस्त शिवभक्तों, सम्माननीय अतिथियों, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम रायपुर, कोर कमेटी, कार्यकर्ता, वालंटियर्स व आयोजन से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों के प्रति आभार जताया. रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय ने भी विराम दिवस पर मंच से अपनी बात रखी। महीने भर की दिनरात तैयारियों व सुगठित प्रबंधन के बल पर पूरी तरह से निर्विघ्न यह आयोजन सम्पन्न हुआ, जिसकी प्रदेश ही नहीं देश भर में चर्चा हो रही है. उपस्थित लाखों भक्तों सहित आस्था चैनल के माध्यम से करोड़ों लोगों ने इस कथा अमृत का सोपान किया. सभी लोगों ने सुंदर पण्डाल, आकर्षक मंच (नीचे बम्लेश्वरी मंदिर की आकृति), छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति से ओतप्रोत स्वागत द्वार व दीवार सहित भोजन, आवास व अन्य सभी व्यवस्थाओं की भरपूर सराहना की।

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