0 नगरनार स्टील प्लांट के डीमर्जर को देखते हुए रोक रखे हैं करोड़ों रुपए
0 कम्पनी की सम्पत्ति को कुर्क कर राशि दिलाने की उठाई मांग
0 ठेकेदारों के धरना प्रदर्शन के बाद भी नहीं पसीजा प्रबंधन
(अर्जुन झा)
नगरनार (छत्तीसगढ़). यहां भारत सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे इस्पात संयंत्र के स्ट्रक्चर का काम कराने वाली भिलाई की एक कम्पनी ने जिन ठेकेदारों की सेवाएं ली हैं, उन्हें बीते दो साल से उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. चर्चा है कि इस्पात संयंत्र के डी मर्जर की संभावना को देखते हुए यह कंपनी समूह अपने ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर रहा है. वहीं ठेकेदारों ने राज्य सरकार और प्रशासन से इस कम्पनी की सम्पत्ति को कुर्क कर उनकी राशि दिलाने की गुहार लगाई है.
बस्तर की वादियों में प्रचुर मात्रा में लौह अयस्क के भंडार उपलब्ध हैं. भारत सरकार इस लौह अयस्क का स्थानीय स्तर पर उपयोग करते हुए बस्तर में ही इस्पात निर्माण की इकाई संचालित करने कटिबद्ध है. ताकि बस्तर संभाग में अधिक से अधिक सहायक उद्योग स्थापित हों और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें. इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार नगरनार में विशाल इस्पात संयंत्र लगाने जा रही है. इस प्रस्तावित संयंत्र का स्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए भिलाई के एक बड़े औद्योगिक समूह समेत कुछ अन्य कंपनियों को काम सौंपा गया है. इस कम्पनी ने कुछ ठेकेदारों को संयंत्र स्थापना से जुड़े विभिन्न कार्य ठेके पर दिए थे. उक्त कंपनी के लिए काम करने वाले ठेकेदारों के अनुसार कंपनी दो साल तक बिना राशि का भुगतान किए ठेकेदारों से काम लेती रही. ठेकेदार भी इस उम्मीद के साथ कि उनकी राशि कम्पनी आज नहीं तो कल जरूर दे देगी, काम पूरा कराते रहे. ठेकेदार कर्ज लेकर और गहने बेचकर अपने मजदूरों को उनकी पारिश्रमिक राशि का भुगतान करते रहे.
स्थानीय मजदूरों को निरंतर रोजगार उपलब्ध कराने वाले ये ठेकेदार अपनी बकाया रकम के लिए दो साल से भटक रहे हैं. संबंधित कम्पनी प्रबंधन के स्थानीय अधिकारी उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर टरकाते आ रहे थे. जब सब्र का बांध टूट गया तब ये ठेकेदार कंपनी के गेट के सामने धरने पर बैठ गए. उनका धरना कई दिन तक चला, लेकिन कम्पनी प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा. कम्पनी के इस अड़ियल रवैए को देखते हुए अब मजदूर और बस्तर के लोग सवाल उठाने लगे हैं कि जब अभी से इस तरह का मजदूर विरोधी रुख अपनाया जा रहा है तो भविष्य में निजीकरण श्रमिक हितैषी कैसे साबित हो सकता है?
उल्लेखनीय है कि नगरनार में इस्पात संयंत्र स्थापना की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने अपने उपक्रम राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ( एनएमडीसी ) को सौंपी है. एनएमडीसी ने प्रस्तावित संयंत्र से जुड़े कार्य उन निजी कंपनियों को दे रखे हैं, जो स्टील प्लांट से संबंधित कार्यों की जानकार हैं. इन्हीं निजी कंपनियों में एक है भिलाई का प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह जो स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के अधीन भिलाई इस्पात संयंत्र में भी काम करता है. इस कंपनी ने नगरनार के प्रस्तावित प्लांट में पाइप लाइन, सेंटरिंग आदि के कार्य कुछ स्थानीय ठेकेदारों को दे रखे हैं. ये ठेकेदार लगभग तीन साल से इस कंपनी के अधीन वर्क आर्डर के आधार पर काम कराते आ रहे हैं. इस कंपनी ने अपने ठेकेदारों को उनके द्वारा कराए गए कार्यों के एवज में राशि का भुगतान बीते दो साल से रोक रखा है. रकम भुगतान न किए जाने से इन ठेकेदारों के मजदूरों का भी पारिश्रमिक लंबित हो रहा था. ये ठेकेदार जब अपनी बकाया रकम भुगतान और मजदूरों की परेशानी को लेकर कंपनी प्रबंधन से मिलने जाते हैं तो आजकल में भुगतान कर देने की बात कहकर टरका दिया जाता रहा. बार – बार मजदूरों की परेशानी बताने पर एक दफ़े कंपनी प्रबंधन ने ठेकेदारों से कहा कि आप लोग फिलहाल अपनी तरफ से मजदूरों की पारिश्रमिक राशि दे दें, आप लोगों को हम एकमुश्त भुगतान कर देंगे. प्रबंधन से भरोसा मिलने पर ठेकेदारों ने कर्ज लेकर अपने मजदूरों को उनकी पारिश्रमिक राशि का भुगतान कर दिया. शिकायत के अनुसार इसके बाद भी कंपनी ने आज तक ठेकेदारों को उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. ठेकेदार बताते हैं कि कंपनी द्वारा कभी ये पेपर लाओ, तो कभी वो पेपर लाओ कहकर टाला जा रहा है. ऐसा करते दो साल बीत गए हैं. इस हरकत के चलते ठेकेदार आर्थिक और मानसिक रूप से बेहद परेशान हो चले हैं. उन्होंने कंपनी के दफ़्तर के गेट के सामने धरना देना शुरू कर दिया. धरने पर दो महिलाएं भी बैठी थीं. ठेका कंपनी ने सह ठेकेदारों की एक करोड़ से भी ज्यादा की रकम अटका रखी है.
कंपनी की सम्पत्ति हो नीलाम
बस्तरिहा मजदूरों और पेटी कांट्रेक्टर ठेकेदारों का कहना है कि काम कराकर भुगतान न करने वाली कंपनी के कार्यालय तथा अन्य संपत्तियों को नीलाम कर उनकी बकाया राशि का भुगतान कराया जाए.